क्या आपने ऐसी कब्र के बारे में सुना है जहां लोग इबादत के बजाय जूते-चप्पल बरसाएं? शायद नहीं, क्योंकि आमतौर पर दिवंगत व्यक्ति का सम्मान किया जाता है, लेकिन एक शख्स ने अपनी जिंदगी में ऐसी शरारत कर दी कि आज भी लोग उसकी कब्र की पिटाई करते हैं।
अपनी करतूत से दो बादशाहों के बीच युद्ध कराने वाले शख्स की कब्र का नाम है - चुगलखोर का मकबरा। यहां जायरीन न तो फूल और चादर चढ़ाते हैं और न ही अगरबत्ती जलाते हैं। वे अपनी मन्नत पूरी करने के लिए कब्र की जूते और चप्पलों से पिटाई करते हैं।
जरूर पढ़िए- जानिए, मां सीता के जीवन से जुड़ी 8 अनोखी व रोचक बातेंकरीब 500 साल पुरानी कब्र पर लोग इस तरह की अनोखी इबादत इटावा-फर्रुखाबाद-बरेली राजमार्ग की यात्रा हिफाजत से गुजर जाने के लिए करते हैं। इटावा जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर इटावा-बरेली राजमार्ग पर स्थित यह मकबरा जीर्णशीर्ण दशा में है।
जरूरी है 5 जूते मारनापुरानी मान्यताओं के अनुसार इटावा के बादशाह ने अटेरी के राजा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। बाद में इटावा के बादशाह को पता चला कि इस युद्ध के लिए उसका दरबारी भोलू सैय्यद जिम्मेदार था।
इससे नाराज बादशाह ने ऐलान किया कि सैय्यद को इस दगाबाजी के लिए तब तक जूतों से पीटा जाए जब तक कि उसका इंतकाल न हो जाए।
सैय्यद की मौत के बाद से ही उसकी कब्र पर जूते मारने की परंपरा चली आ रही है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इटावा-बरेली मार्ग पर अपनी तथा परिवार की सुरक्षित यात्रा के लिए सैय्यद की कब्र पर कम से कम 5 जूते मारना जरूरी है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि उन्होंने कभी किसी को इस मजार पर अगरबत्ती जलाते या फूल-चादर चढ़ाते नहीं देखा। लोग इस मार्ग पर यात्रा शुरू करने से पहले सिर्फ जूते या चप्पल से कब्र की पिटाई करते हैं। इस पर सवारियां लाने-ले जाने वाले टैक्सी चालकों ने बताया कि यह अकेली मजार है जिस पर लोग जूते-चप्पल बरसाते हैं।
चुगलखोर के मकबरे की कोई देखरेख करने वाला नहीं है। लोग इस मार्ग पर यात्रा करने वाले वाहन चालक से वहां रुकने का आग्रह करते हैं और भोलू सैय्यद की कब्र पर जूते-चप्पल मारकर सुरक्षित यात्रा के लिए इबादत करते हैं।
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