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Rudraksh Ke Fayde: सावन है रुद्राक्ष पहनने का सही समय, अच्छी सेहत समेत होते हैं कई फायदे

Rudraksh Ke Fayde: रुद्राक्ष पहने आपने कई लोगों को देखा होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि रुद्राक्ष क्या है और रुद्राक्ष पहनने का सही समय नियम, पहनने की विधि और फायदे क्या हैं..आइये जानते हैं हर सवाल का जवाब ...

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Rudraksh Ke Fayde Sawan

रुद्राक्ष के फायदे

Rudraksh Ke Fayde: रुद्राक्ष को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू से हुई है और इसके मनके में 21 तक मुख हो सकते हैं। इसे अलग-अलग जरूरत के लिए पहना जाता है। लेकिन गलत तरह का रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में खलल पैदा कर सकता है।


जो व्यक्ति इसे धारण कर भगवान की पूजा करता है, उसे महादेव का आशीर्वाद मिलता है। इसको पहनना सेहत के लिए भी लाभदायक माना जाता है। कहा जाता है कि रुद्राक्ष पहनने से इंसान की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। इसे धारण कर पूजा करने से जीवन के अनंत सुख मिलते हैं।

कहां मिलता है रुद्राक्ष

वैसे रुद्राक्ष एक खास तरह के पेड़ का बीज है, जो ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं। विशेष रूप से हिमालय क्षेत्र और दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट के कुछ इलाकों में पाए जाने वाले रुद्राक्ष अच्छे माने जाते हैं।

इसके अलावा नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया में रुद्राक्ष पाए जाते हैं। लेकिन सबसे अच्छी गुणवत्ता के रुद्राक्ष हिमालय में एक ऊंचाई के बाद ही मिलते हैं क्योंकि मिट्टी, वातावरण और हर चीज का प्रभाव इस पर पड़ता है। इन बीजों में एक बहुत विशिष्ट स्पंदन होता है।

एकमुखी रुद्राक्ष

एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से जीवन में किसी तरह की कमी नहीं रहती। एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है। लेकिन ऐसे लोग जिसके कई चेहरे होते हैं, उन्हें इसे नहीं पहनना चाहिए, वर्ना वो मुसीबत बुला लेंगे।

दो मुखी रुद्राक्ष

पुराणों में दोमुखी रूद्राक्ष को शिव-शक्ति का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से आत्मविश्वास और मन की शांति प्राप्त होती है। मान्यता है कि इसे धारण करने से कई तरह के पाप दूर होते हैं।

तीन मुखी रुद्राक्ष

मान्यता है कि तीन मुखी रुद्राक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिगुणात्मक शक्तियां होतीं हैं। यह परम शांति, खुशहाली दिलाने वाला रुद्राक्ष है। इसे धारण करने से घर में सुख-संपत्ति, यश, सौभाग्य का लाभ होता है।

चार मुखी रुद्राक्ष

चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्माजी का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि इसे धारण करने से इंसान के जीवन का उद्देश्य पूरा होता है, मोक्ष भी प्राप्त होती है। त्वचा के रोगों, मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्मकता में इससे विशेष लाभ होता है।

पांच मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष को रुद्र स्वरूप माना जाता है। माला के लिए आमतौर पर इसी रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है। इसको पहनने से मंत्र शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है।

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छह मुखी रुद्राक्ष

छह मुखी रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि इसे धारण करने से ज्ञान और आत्मविश्वास मिलता है। इसे दाहिने हाथ में पहनना चाहिए।

सात मुखी रुद्राक्ष

सात मुखी रुद्राक्ष सप्तऋषियों का स्वरूप माना जाता है। इसको धारण करने से जीवन में आर्थिक संपन्नता आती है। इसको पहनकर मंत्र जप का फल निश्चित रूप से मिलता है।

अष्टमुखी रुद्राक्ष

अष्टमुखी रुद्राक्ष अष्टभुजा देवी और देवों में सबसे पहले पूजे जाने वाले गणेशजी का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है और मुकदमो में सफलता मिलती है। मान्यता है कि अष्टमुखी रुद्राक्ष अनेक प्रकार के शारीरिक रोगों को भी दूर करता है।

नौ मुखी रुद्राक्ष

नौमुखी रुद्राक्ष नवदुर्गा और नवग्रह का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि नौ मुखी रुद्राक्ष जीवन में सुख लाता है, भाग्य साथ देता है। यह अकाल मृत्यु का भय दूर करता है, धन, यश और कीर्ति प्रदान करता है।

दस मुखी रुद्राक्ष

दस मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि इसे पहनने से दमा, गठिया, पेट, और नेत्र संबंधी रोगों से छुटकारा मिलता है। साथ ही नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को भी साक्षात रुद्र कहा गया है। मान्यता है कि जो लोग इसे शिखा में धारण करते हैं, उसे कई हजार यज्ञ कराने का फल मिलता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष

बारह मुखी रुद्राक्ष कान में धारण करना शुभ बताया गया है। इसे धारण करने से धन-धान्य और सुख की प्राप्ति होती है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष

तेरह मुखी रुद्राक्ष सारी कामनाएं पूरी कराने वाला होता है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष

चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य शिव के समान पवित्र हो जाता है। इसे सिर पर धारण करना चाहिए।

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रुद्राक्ष पहनने की विधि

रुद्राक्ष को पहनने का सबसे सही समय सावन माह, सोमवार और महाशिवरात्रि माना जाता है, मान्यता है कि इसे शिवजी की पूजा कर धारण करना चाहिए। इसके लिए पहले उसे शुद्धि करना जरूरी है।


इसके लिए सबसे पहले चांदी या तांबे की कटोरी में दूध, दही, शहद, घी और शक्कर का मिश्रण तैयार करें और रुद्राक्ष को स्नान कराएं। स्नान के बाद शुद्ध जल और गंगाजल से स्नान कराकर पूजा स्थल पर लाल वस्त्र पर रख दें। एक गाय के घी का दीपक जलाकर ॐ नमः शिवाय या ॐ हूं नमः मंत्र का 501 या 1100 बार जप करें और फिर धारण करें।

रुद्राक्ष पहनने का नियम

  1. लाल या पीले रंग के रेशमी या सूती धागे में पिरोये रुद्राक्ष की माला में मनकों की संख्या 108 ‘प्लस एक’ होनी चाहिए। अतिरिक्त मनका बिंदु की तरह है, वर्ना ऊर्जा चक्रीय हो जाएगी और संवेदनशील लोगों को चक्कर आ सकते हैं। धागे में पहनने पर हर छह महीने पर धागे को बदलना अच्छा रहता है। इसे कभी काले धागे में नहीं पहनना चाहिए।
  2. रुद्राक्ष का मनका टूटा नहीं होना चाहिए। इस माला को नहाने के समय के साथ ही, हर समय पहन सकते हैं। अगर आप ठंडे पानी से नहाते हैं और किसी केमिकल साबुन का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो इसके ऊपर से बहकर निकले पानी का आपके शरीर पर से बहना विशेष रूप से लाभकारी है।
  3. वैसे पहनते समय नियमित ध्यान और प्रार्थना करना उत्तम है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति और आंतरिक ऊर्जा का अनुभव कराता है।
  4. रुद्राक्ष को नियमित अंतराल पर साफ करना चाहिए, इससे ऊर्जा बढ़ती है। इसके अलावा रुद्राक्ष को अन्य धार्मिक वस्त्र और अंगूठी के साथ मेल कर पहनना चाहिए। यह आत्मा के आध्यात्मिक उद्देश्य के साथ जुड़ने में मदद करता है।
  5. रुद्राक्ष को सुबह उठते ही पहनना अच्छा रहता है। इससे उसकी ऊर्जा से शरीर और मस्तिष्क को लाभ होता है, लेकिन सोते समय इसे शरीर से अलग कर देना चाहिए।
  6. रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए, इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान इसे ले जाने से बचना चाहिए।
  7. रुद्राक्ष की माला को धारण करने के बाद किसी और को बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए और न ही दूसरों की माला पहननी चाहिए।