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वैशाख अमावस्या 2021 : जानिए इसकी पूजन- विधि और स्नान- दान का महत्व

वैशाख मास में पड़ने वाला अमावस्या को धार्मिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण माना गया है। वैशाख मास की अमावस्या तिथि मंगलवार के दिन पड़ रही है जिस कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

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Vaishakh Amavasya

Vaishakh Amavasya

नई दिल्ली। हर महीने में एक अमावस्या तिथि होती है और पूरे एक साल में 12 अमावस्या तिथियां होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्‍येक अमावस्‍या तिथि का विशेष महत्त्व है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख अमावस्या का अलग महत्त्व है। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं। सुख—समृद्धि और परिवार के कल्याण की कामना के लिए इस दिन पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन को पितृ तर्पण से लेकर स्नान-दान आदि कार्यों के लिए काफी शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं वैशाख अमावस्या पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।

अमावस्या तिथि शुभ मुहूर्त :—
वैशाख अमावस्या 11 मई 2021 मंगलवार के दिन पड़ रही है।
अमावस्या तिथि आरम्भ - 10 मई रात्रि 9 बजकर 55 मिनट पर।
अमावस्या तिथि समाप्ति - 12 मई को 12 बजकर 29 मिनट पर होगी।

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शुभ संयोग :—
आज के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही मेष राशि में विराजमान हैं। बुध, शुक्र और राहु वृषभ राशि में हैं। मंगल मिथुन राशि में हैं। केतु वृश्चिक राशि में हैं। मकर राशि में शनि हैं। कुंभ राशि में गुरु का गोचर चल रहा है। ग्रहों की स्थिति बहुत खराब है। चंद्रमा अमावस्‍या योग बनाकर सूर्य के साथ हैं। शुक्र और बुध राहु के साथ हैं। मंगल शत्रुक्षेत्री हैं।

पूजा विधि :—
सूर्य उदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। हालांकि इस कोरोना काल में आप घर में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करेंं। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस कई लोग उपवास भी रखें। इस दिन पितृ संबंधित कार्य करें और उनके निमित्त तर्पण और दान करें। इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

वैशाख अमावस्या का महत्व:—
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन सूर्य को अर्ध्य देने और पितरों को तर्पण करने से पितर प्रसन्न होकर विशेष फल देते हैं। इस पावन तिथि पर पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है। ऐसा करने से पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है। अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा होती है। इस पावन दिन दान करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।