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Chanakya Niti : मौत के बाद भी इंसान का पीछा नहीं छोड़ती है ये एक चीज, स्वर्ग- नर्क भी जाती है साथ

Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य के जीवन में सिर्फ उसके कर्म ही ऐसे हैं जो मृत्यु के बाद भी उसका साथ नहीं छोड़ते। अच्छे कर्म सुख और सम्मान देते हैं, जबकि बुरे कर्म जीवन और मृत्यु दोनों में दुख का कारण बनते हैं।

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Chanakya Niti

Chanakya Niti : मौत भी नहीं छुड़ा सकती पीछा: स्वर्ग और नरक तक साये की तरह साथ चलते हैं आपके 'कर्म' (फोटो सोर्स: Patrika Design Team)

Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य का नाम भारतीय इतिहास और दर्शन में एक महान आचार्य के रूप में लिया जाता है। उन्होंने जीवन, नैतिकता, राजनीति और समाज के बारे में कई गहरी बातें अपने नीति शास्त्र में बताई हैं। चाणक्य के अनुसार, मनुष्य के जीवन में कई लोग आते-जाते रहते हैं, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं, लेकिन एक चीज है जो कभी साथ नहीं छोड़ती—वह है उसके अच्छे और बुरे कर्म।

चाणक्य स्पष्ट कहते हैं कि मनुष्य के कर्म ही उसका असली धन होते हैं। व्यक्ति चाहे किसी भी परिवार में जन्म ले, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, अंत में वही फल पाता है जो उसने कर्मों के रूप में बोया होता है। यही कारण है कि मृत्यु के बाद भी मनुष्य को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। चाणक्य कहते हैं कि कर्म व्यक्ति का पीछा स्वर्ग और नर्क तक करते हैं।

उनके अनुसार, अच्छे कर्म करने वाला इंसान धरती पर ही स्वर्ग जैसा सुख अनुभव करने लगता है। ऐसे लोगों को समाज में सम्मान, प्यार और आदर मिलता है। लोग उनकी विनम्रता, सत्यता और व्यवहार से प्रभावित रहते हैं। इसलिए कहा जाता है कि अच्छे कर्म करने वालों को मरने के बाद भी याद किया जाता है। समाज में उनकी अच्छी छवि बनी रहती है, और वही उनके जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार होता है।

दूसरी ओर, जो लोग बुरे या गलत कर्म करते हैं, वे जीवन भर परेशानियों से घिरे रहते हैं। उनके साथ सकारात्मक लोग नहीं जुड़ते और अक्सर उन्हें बदनामियों का सामना करना पड़ता है। चाणक्य कहते हैं कि गलत कर्मों का बोझ इतना भारी होता है कि मनुष्य मृत्यु के बाद भी उनसे मुक्त नहीं हो पाता। नर्क लोक में भी उसके कर्म उसका पीछा नहीं छोड़ते।

आचार्य चाणक्य का कहना है इस दुनिया में रहते हुए मनुष्य को हमेशा अच्छे कर्मों की राह चुननी चाहिए। किसी को दुख या नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए। क्योंकि पैसा, रिश्ते और संपत्ति तो पीछे रह जाते हैं, लेकिन कर्म हमेशा साथ चलते हैं। इसलिए, चाणक्य कहते हैं,“जीवन में वही करो जिसे मरने के बाद भी लोग सम्मान से याद करें।”

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