
औरैया. महिला सशक्तिकरण के नाम पर सरकार चाहे जितने दावे करे, लेकिन अपराध हो या अन्य महिला संबंधित मामले हों, पहले तो मामले दबाने का काम किया जाता है। जो मामले तूल पकड़ते है या जानकारी में आ जाते है उनमें ही कार्रवाई हो पाती है। ऐसा ही एक मामला औरैया के अछल्दा का है। जहां एक महिला को न्याय के लिए पुलिस प्रशासन के चक्कर काटने के बाद भी न्याय नहीं मिला। आखिरकार मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर महिला के साथ हुई मारपीट के मामले में 3 साल बाद अछल्दा थाने में पुलिस अधीक्षक के पीआरओ के खिलाफ लूट का मामला दर्ज किया गया है।
जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो क्या होगा? आम जनमानस की सुरक्षा का जिम्मा लेने वाली पुलिस पर ही आरोप लूट का आरोप अपने आप में पुलिस की कार्यशैली को दर्शाता है। महिला को न्याय मिलने में 3 साल लग गए अकेले ही दम पर उसने कार्यवाही कराई।
2014 का है मामला
अछल्दा थाना क्षेत्र के ग्राम छछूंद की सुनीता देवी पत्नी नत्थू सिंह ने वर्ष 2014 में तत्कालीन थानाध्यक्ष रहे वर्तमान में पुलिस अधीक्षक के पीआरओ अजय पाठक के खिलाफ आरोप लगाते हुए बताया था कि उनके साथ मारपीट की और मोबाइल के अलावा 5000 रुपए लूट लिए थे। महिला ने उस दौरान मामले की शिकायत थाना पुलिस व उच्चाधिकारियों से की थी, लेकिन ई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद महिला ने न्याय न मिलने पर मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग में तत्कालीन थानाध्यक्ष अजय पाठक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज
मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर अछल्दा थाने में मामला पंजीकृत कर लिया गया है। उक्त के संबंध में पुलिस अधीक्षक के पीआरओ अजय पाठक से संपर्क करने की कोशिश की गई,लेकिन कोई भी बात नहीं हो सकी।
विधूना क्षेत्राधिकारी को सौंपी जांच
उक्त मामले की जांच विधूना क्षेत्राधिकारी को दी गई है। पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी ने बताया है कि मामले की जांच की जा रही है घटना में अगर दोषी पाया गया उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
05 Nov 2017 01:49 pm
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