कुल मिलाकर, मारुति सुजुकी ने पिछले 8 वर्षों में भारतीय रेलवे के माध्यम से करीब 11 लाख वाहनों का परिवहन किया है, जिससे 4,800 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से बचने में मदद मिली है। इस कदम से 1,56,000 से अधिक ट्रक ट्रिप और 174 मिलियन लीटर से अधिक ईंधन बचाने में मदद मिली है। यदि इन वाहनों को रेलवे के बजाय रोड ट्रिप द्वारा ट्रकों के माध्यम से लादकर एक शहर से दूसरे शहर में ट्रांसपोर्ट किया जाता तो संभवत: उपर दिए हुए आंकड़े सामने आते।
मारुति सुजुकी इंडिया (MSI) के कार्यकारी निदेशक राहुल भारती ने एक बातचीत में मीडिया को बताया कि, "रेलवे लॉजिस्टिक्स कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और सड़क की भीड़ को कम करने के लिए रोड लॉजिस्टिक्स पर एक महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करता है। पिछले कुछ वर्षों में हमने अपने कारखाने से डीलरों के लिए कार डिस्पैच की हिस्सेदारी को जानबूझकर बढ़ाया है।"
निश्चित तौर पर भारतीय रेलवे के इस पहल से बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भारी लाभ हो रहा है। वो कम लागत में ही अपने उत्पादों को एक शहर से दूसरे शहर में आसानी से भेज पा रहे हैं। इसके साथ ही सड़क मार्ग द्वारा यदि इन उत्पादों को ले जाया जाता तो ट्रैफिक के साथ-साथ ईंधन की भारी खपत और प्रदूषण दोनों बढ़ता। आप इस माध्यम की उपयोगिता का अंदाजा इन आंकड़ों से ही लगा सकते हैं कि, वित्तीय वर्ष 2014-15 में मारुति सुजुकी के लगभग 66,000 यूनिट्स वाहनों को रेलवे के माध्यम से ट्रांसपोर्ट किया गया था जो कि 2.33 लाख यूनिट्स तक पहुंच गया है।
यह भी पढें: कम पूंजी में शुरू करें Electric Vehicle के चार्जिंग स्टेशन का बिजनेस! होगी मोटी कमाई
भारती ने कहा, "इसे और बढ़ाने के लिए, हम कई कदम उठा रहे हैं। उद्योग की पहली पहल के रूप में, हमने हंसलपुर और मानेसर विनिर्माण संयंत्रों में इन-प्लांट रेलवे साइडिंग स्थापित करने के लिए गुजरात और हरियाणा की सरकारों के साथ संयुक्त उद्यम बनाया है।" .उन्होंने कहा कि, "कंपनी रेल परिवहन में अपनी मौजूदा हिस्सेदारी जो कि केवल 15 फीसदी उसे और भी बढ़ाएगी, ताकि भविष्य में और भी ज्यादा वाहनों को ट्रांसपोर्ट किया जा सके।"
AFTO लाइसेंस वाली देश की पहली कंपनी:
आपको बता दें कि, मारुति सुजुकी इंडिया (MSI) साल 2013 में ऑटोमोबाइल फ्रेट ट्रेन ऑपरेटर (AFTO) लाइसेंस प्राप्त करने वाली देश की पहली ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी बनी थी। इस लाइसेंस ने कंपनी को भारतीय रेलवे नेटवर्क पर उच्च गति, उच्च क्षमता वाले ऑटो-वैगन रेक बनाने और संचालित करने की अनुमति दी। कंपनी के पास 41 रेलवे रेक हैं, जिनकी क्षमता प्रति रेक 300 से अधिक वाहनों की है।