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पुतिन की कार की पिछली सीट पर रखा था वो ‘काला बैग’, जो एक बटन में हिला सकता है पूरी दुनिया!

Putin Nuclear Briefcase: पुतिन के साथ साये की तरह चलने वाले काले बैग ‘चेगेट’ का सच - जानिए इसमें क्या है, कैसे जुड़ा है यह ‘कजबेक’ नेटवर्क से और क्या है लॉन्च-कोड की पूरी प्रक्रिया।

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भारत

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Rahul Yadav

Dec 06, 2025

Putin Nuclear Briefcase

Putin Nuclear Briefcase (Image: ANI/X)

Putin Nuclear Briefcase: 4 और 5 दिसंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत की यात्रा पर थे। अब वे वापस मास्को लौट चुके हैं, लेकिन उनकी यह यात्रा और उनके साथ आया उनका काफिला अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जब पुतिन दिल्ली की सड़कों पर अपनी 6 करोड़ की बुलेटप्रूफ 'औरस सीनेट' (Aurus Senat) में सफर कर रहे थे तो कैमरों की फ्लैश उनकी कार की मजबूती पर चमक रही थी।

यह कार पानी में तैरने और बम झेलने की क्षमता रखती है। लेकिन, उस अभेद्य सुरक्षा घेरे के बीच एक ऐसी चीज भी भारत आई थी जिस पर बहुत कम लोगों की नजर पड़ी और वही दुनिया की सबसे खतरनाक चीज है।

यह कोई हथियार नहीं, बल्कि एक काले रंग का साधारण सा दिखने वाला ब्रीफकेस था, जो पुतिन की परछाई की तरह उनके साथ रहा। जब पुतिन अपनी औरस कार की पिछली सीट पर बैठे थे, तो यह बैग भी उसी कार में या ठीक उनके पीछे साये की तरह मौजूद था।

पुतिन की कार में वो काला बैग क्या था?

रक्षा विशेषज्ञों और रूसी मामलों के जानकारों की भाषा में इसे 'चेगेट' (Cheget) कहा जाता है। यह रूस का न्यूक्लियर फुटबॉल है। आसान भाषा में समझें तो यह वह रिमोट कंट्रोल है, जिसके जरिए रूस के राष्ट्रपति दुनिया के किसी भी कोने में परमाणु हमला करने का आदेश दे सकते हैं।

रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी TASS और अंतरराष्ट्रीय रक्षा रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह ब्रीफकेस हमेशा एक खास नौसैनिक अधिकारी के हाथ में होता है। 4 और 5 दिसंबर की फुटेज में भी आपने देखा होगा कि पुतिन के ठीक पीछे अक्सर एक यूनिफॉर्म पहने अफसर काले बैग के साथ चल रहा था।

प्रोटोकॉल यह है कि राष्ट्रपति चाहे प्लेन में हों, मीटिंग में हों, या दिल्ली की सड़कों पर अपनी 'औरस' कार में यह बैग उनसे कुछ ही मीटर की दूरी पर होना चाहिए।

बैग के अंदर क्या है?

अक्सर लोग सोचते हैं कि इसमें एक लाल बटन होगा। लेकिन हकीकत फिल्मी ड्रामे से थोड़ी अलग है।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह ब्रीफकेस रूस के स्ट्रेटेजिक मिसाइल फोर्सेज के कमांड नेटवर्क से जुड़ा होता है, जिसे 'काजबेक' (Kazbek) कहा जाता है। इसमें विशेष फ्लैश कार्ड्स और लॉन्च कोड्स होते हैं। अगर कभी परमाणु हमले की नौबत आती है, तो पुतिन इसी बैग के जरिए सेना को कोड भेजते हैं।

औरस के होते हुए फॉर्च्यूनर क्यों?

वैसे तो पुतिन अपनी 'औरस सीनेट' के सिवा किसी गाड़ी में सफर नहीं करते, क्योंकि वही एक ऐसी कार है जो परमाणु हमले के दौरान भी कमांड सेंटर का काम कर सकती है। लेकिन भारत में फॉर्च्यूनर का इस्तेमाल सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं था, बल्कि रूस की FSO और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की पूर्ण सहमति और जांच के बाद लिया गया फैसला था। उस फॉर्च्यूनर और पूरे रूट को पहले से सैनिटाइज किया गया था। फिर भी, उनकी बुलेटप्रूफ औरस काफिले में बिल्कुल साथ चल रही थी, ताकि अगर रत्ती भर भी खतरा महसूस हो, तो पुतिन को तुरंत उस 'अजेय किले' में शिफ्ट किया जा सके। यानी भरोसा दोस्ती का था, लेकिन मंजूरी सुरक्षा एजेंसियों की थी।

तो क्या पुतिन कभी भी बटन दबा सकते हैं?

यह सवाल जितना डरावना है, जवाब उतना ही जिम्मेदार भी है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों और परमाणु संधियों के तहत, कोई भी देश पहले परमाणु हमला नहीं कर सकता है। इस 'चेगेट' ब्रीफकेस का साथ होना दरअसल 'शक्ति संतुलन' का हिस्सा है। यह दुनिया को संदेश देता है कि रूस अपनी सुरक्षा के लिए हर पल तैयार है। यानी अगर कोई रूस पर परमाणु हमला करे तो जवाब देने में एक सेकंड की भी देरी नहीं होगी।