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राममंदिर निर्माण : रामजन्मभूमि रजकण में भगवान की तलाश, घर के देवालय में रखने की होड़

- नींव से निकली मिट्टी (Ram Janmabhoomi Rajakan) घर ले जा रहे श्रद्धालु- राम मंदिर ट्रस्ट ने पैकिंग की व्यवस्था- अब तक छह हजार पैकेट डाक से भी भेजे गए

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राममंदिर निर्माण : रामजन्मभूमि रजकण में भगवान की तलाश, घर के देवालय में रखने की होड़

राममंदिर निर्माण : रामजन्मभूमि रजकण में भगवान की तलाश, घर के देवालय में रखने की होड़

महेंद्र प्रताप सिंह

पत्रिका एक्सप्लनेर

अयोध्या. भगवान जगत के कण-कण में विद्यमान हैं। यह हम सुनते आए हैं। लेकिन, कण-कण में भगवान को तलाशते भक्तों की अगाध श्रद्धा देखनी है तो अयोध्या चले आइए। ...जहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का सबसे खूबसूरत मंदिर बन रहा है। इन दिनों यहां नींव भरने की प्रक्रिया चल रही है। हर रोज हजारों श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए आ रहे हैं। वे रामजन्मभूमि परिसर(Ram Janmabhoomi) में नींव की खोदाई से निकली मिट्टी को पवित्र रजकण मानकर अपने साथ ले जा रहे हैं।

रामजन्मभूमि रजकण (Ram Janmabhoomi Rajakan)

राममंदिर निर्माण के लिए नींव की खोदाई में निकली जन्मभूमि की मिट्टी भक्तों के लिए आस्था की प्रतीक बन गई है। इसीलिए ट्रस्ट ने इस मिट्टी का 'रामजन्मभूमि रजकण' (Ram Janmabhoomi Rajakan) नाम दिया है। अब तक देश के विभिन्न हिस्सों के तकरीबन छह हजार घरों तक यह मिट्टी पहुंचाई जा चुकी है। कुछ को डाक से यह मिट्टी भेजी गई तो कुछ भक्त कारसेवकपुरम से इसे ले जा रहे हैं। गर्भगृह सहित मंदिर परिसर की मिट्टी को छोटी-छोटी डिब्बियों में पैक किया गया है। कारसेवकपुरम् से अयोध्या दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को रजकण भेंट किया जा रहा है। निधि समर्पण अभियान से जुड़े पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी रजकण को वितरित कर रहे हैं। ट्रस्ट कार्यालय के प्रभारी प्रकाश गुप्ता का कहना है कि राम सेवक पुरम में रखी मिट्टी रामलला परिसर की खुदाई से निकली है। इसे छोटी डिब्बे में पैक करके वितरित किया जा रहा है।

दर्शनार्थियों के लिए रेड कारपेट

रामजन्मभूमि (Ram Janmabhoomi) में विराजमान रामलला के दर्शनार्थियों के लिए रेड कारपेट की व्यवस्था की गयी है। महिलाओं और पुरुषों की लाइन के लिए अलग-अलग कारपेट बिछाए गए हैं। करीब डेढ़ सौ मीटर लंबे कारपेट को रंगमहल बैरियर से लेकर विराजमान रामलला के परिसर तक बिछाया गया है। आनंद भवन बैरियर से लेकर विराजमान रामलला के परिसर तक शेड की व्यवस्था भी की गयी है। गर्मी को देखते हुए जल्द ही पूरे दर्शन मार्ग पर शेड के साथ अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी। सुरक्षा कारणों से पहले रामलला का दर्शन 40 फिट की दूरी से होता था। अब नये भवन में 25 फिट की दूरी से भगवान के दर्शन हो रहे हैं।

भक्तों को मिल रहा रामलला का खास प्रसाद (Ram Janmabhoomi Special prasad)

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Sh Ram Janmabhoomi omi Tirtha Kshetra Trust) ने रामलला का दर्शन करने आने वाले भक्तों की एक और मुराद पूरी कर दी है। श्रद्धालु अब तक रामलला के दर्शन तो करते थे, लेकिन उनके मन में राममंदिर के रामलला का प्रसाद साथ न ले जा पाने की कसक बनी रहती थी। न तो भक्त अपने आराध्य को प्रसाद अर्पित कर पाते हैं और न ही किसी रूप में उन्हें यह प्राप्त हो पा रहा था। लेकिन, अब रामलला का दर्शन करने वालों को बड़े साइज का इलायची दाने का पैकेट दिया जा रहा है। इसी इलायची दाने का भोग रामलला को लगता है। हालांकि, कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से ट्रस्ट ने कुछ समय के लिए चरणोदय के वितरण पर रोक लगा दी है।

दशरथ समाधि व भरत तपोस्थली से जुड़ेगी रामनगरी

कण-कण में भक्तों को राम से जुड़े आख्यानों से रूबरू कराने के लिए योगी सरकार महाराजा दशरथ की समाधि और भरत की तपोस्थली को रामनगरी से जोड़ रही है। यह दोनों स्थल अयोध्या से दूर हैं। और इन तक पहुंचने का मार्ग संकरा है। इसीलिए भरतकुंड से 17 किमी लंबी सड़क दर्शननगर तक टू-लेन की होगी। दर्शननगर के बाद यह हाईवे से कनेक्ट होकर वाया मोहबरा रामनगरी से जुड़ जाएगी। इस सड़क को टू-लेन करने पर 55 करोड़ का खर्च आएगा। इसी तरह दशरथ समाधि को सीधे रामनगरी से जोडऩे के लिए 13.5 किमी लंबे अयोध्या-बिल्व हरिघाट तटबंध पर 10 मीटर चौड़ी तीन लेन की सड़क बनेगी। इसकी लागत 137 करोड़ आएगी। इन दोनों सड़क मार्गों के किनारे के स्थल को रामायणकालीन स्वरूप दिया जाएगा।

84 कोस परिक्रमा मार्ग घोषित हुआ राजमार्ग

रामनगरी की सांस्कृतिक सीमा माना जाने वाला 84 कोसी परिक्रमा मार्गको केंद्र सरकार ने राजमार्ग घोषित कर दिया है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 275 किमी लंबे और बस्ती, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी व गोंडा तक विस्तारित इस परिक्रमा मार्ग को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन सुविधाओं के साथ विकसित करने का एलान किया है। रामायण में वर्णित करीब 151 आध्यात्म और श्रद्धा के केंद्र इसी पथ पर स्थित हैं। मार्ग में भगवान राम और अनेक दिग्गज ऋषियों, मुनियों से जुड़े स्थल भी हैं। बस्ती के मखौड़ा से शुरू होने वाली 84 कोसी परिक्रमा इसी मार्ग पर चलकर अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, गोंडा होते हुए बीस दिनों में मखभूमि पर समाप्त होती है। राजमार्ग घोषित होने के बाद इसका अब विकास हो सकेगा।

जिस राह से गुजरे प्रभु राम वह दिखेगी नयनाभिराम

भगवान राम वनवास के दौरान सीता और लक्ष्मण के साथ जिस मार्ग से गए थे, केंद्र सरकार उस रास्ते को राम वन गमन पथ परियोजना के रूप में विकसित करने जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, उप्र में 210 किलोमीटर का राम वन गमन मार्ग अयोध्या को फैजाबाद के रास्ते चित्रकूट, सुलतानपुर, प्रतापगढ़, जेठवारा, श्रृंगवेरपुर, मंझनपुर और राजापुर से जोड़ेगा। यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग-28, राष्ट्रीय राजमार्ग-96 और राष्ट्रीय राजमार्ग 731 एक से गुजरेगा। इसमें श्रृंगवेरपुर में गंगा नदी पर पुल के साथ नया रास्ता बनेगा। इस प्रोजेक्ट का मकसद उन रास्तों को भक्तों की यादों में बसाना है, जहां-जहां से भगवान श्रीराम वनवास के दौरान गुजरे थे।