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अयोध्या में राममंदिर से जुड़े जमीन विवाद को लेकर अब संतों में दो फाड़

– एक पक्ष ने मामले की जांच की मांग की- दूसरे पक्ष ने कहा-कहीं कोई गड़बड़ी नहीं

अयोध्याJun 25, 2021 / 04:15 pm

Mahendra Pratap

अयोध्या में राममंदिर से जुड़े जमीन विवाद को लेकर अब संतों में दो फाड़

अयोध्या में राममंदिर से जुड़े जमीन विवाद को लेकर अब संतों में दो फाड़

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

अयोध्या. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़ी जमीन में कथित घपले-घोटाले के आरोपों से संत समाज व्यथित है। संतों का कहना है, इस प्रकरण से भगवान राम के आस्थावानों को चोट पहुंची है। कुछ संत कह रहे हैं, भगवान राम तो अबोध बालक हैं। यदि उनकी जन्मभूमि के साथ कोई धोखाधड़ी हुई है तो इसकी जांच होनी चाहिए। वहीं कुछ संत जमीन खरीद में किसी भी धांधली से इनकार करते हैं। उनका कहना है, राममंदिर का निर्माण एक अनुष्ठान है। और आदिकाल से ही हर अनुष्ठान में विघ्न डालने वाले असुर मौजूद रहे हैं।
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जमीन खरीद में गड़बड़ी की हो जांच

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की निष्ठा पर उठ रहे सवाल और आरोप-प्रत्यारोप के बीच अयोध्या में करीब 150 संतों ने अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञानदास महाराज की अगुआई में बैठक की। बैठक में कहा गया यदि जमीन खरीद में कहीं कुछ गड़बड़ है तो सभी को मिलकर धांधली के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। राम मंदिर के पूर्व पक्षकार और निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्म दास ने तो ट्रस्ट को ही भंग करने की मांग कर डाली।
भगवान राम अबोध बालक, सब उठाएं आवाज

रघुवंश संकल्प सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी दिलीप दास ने कहा भगवान राम तो अबोध बालक हैं। वे कुछ समझ नहीं पा रहे। जबकि, उनकी जन्मभूमि के साथ धोखाधड़ी हो रही है। सभी संत समाज को मिलकर इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इसी तरह दिगंबर अनी अखाड़े के सुरेश दास महाराज ने कहा, ट्रस्ट पर आरोप है कि वह 2 रुपए का सामान 25 रुपए में खरीद रहा है। इसकी जांच होनी चाहिए।
प्राचीन मंदिरों की खरीद-परोख्त अनुचित

शारदा और द्वारिका पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने तो श्री रामजन्मभूमि परिसर के आसपास प्राचीन मंदिरों की खरीद-बिक्री पर सवाल उठा दिया है। उनका कहना है पुजारियों और मंदिरों का विस्थापन अनुचित है। मंदिर के मालिक भगवान हैं। मंदिर में नियुक्त पुजारी भगवान की सेवा के लिए हैं। उन्हें मंदिर बेचने का अधिकार नहीं है।
मंदिर का ईशान कोण धंसा था, इसलिए खरीदी जमीन

भूमि विवाद पर ट्रस्ट ने एक बार फिर अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि जमीन खरीदने की जरूरत क्यों पड़ी। ट्रस्ट कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने बताया गया कि मंदिर की परिकल्पना दोषपूर्ण थी। मंदिर का ईशानकोण धंसा हुआ था, इसलिए परिसर का विस्तार करते हुए और जमीन खरीदी गयी। ट्रस्ट पर लगे आरोप गलत हैं। जबकि, ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा-ट्रस्ट केंद्र व प्रदेश सरकार की निगरानी में काम कर रहा है। यहां कुछ भी अवैधानिक नहीं हो सकता।
हिंदू समाज में अनास्था पैदा करने की कोशिश

हरिगोपाल धाम पीठाधीश्वर जगदगुरु रामदिनेशाचार्य महाराज का कहना है, ट्रस्ट के खिलाफ भ्रम फैलाकर हिंदू समाज में अनास्था पैदा करने की कोशिश हो रही है। रामवल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास ने कहा, भूमि विवाद में आक्षेप हिंदू समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।
निर्मोही अखाड़ा के महंत व ट्रस्ट के न्यासी महंत दिनेन्द्र दास ने कहा, मंदिर निर्माण में बाधा डालने वाले आजादी के बाद से ही सक्रिय हैं, आगे भी रहेंगे। जबकि, वैष्णव अखाड़ा के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत गौरीशंकर दास बोले-मंदिर निर्माण विरोधियों को अखर रहा है। यह एक महाअनुष्ठान है। और अनुष्ठान में विघ्न डालने का काम हमेशा से असुर करते रहे हैं।
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