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भोजन के बाद निकला झाग, रावत मंदिर के महंत की रहस्यमयी मौत, 8 करोड़ की जमीन डील से जुड़ा है क्या राज़?

अयोध्या के रावत मंदिर के महंत राम मिलन दास की अचानक मौत ने संत समाज को हिला दिया। दो माह पहले उन्होंने 8 करोड़ में जमीन बेची थी। खाते में करोड़ों रुपये थे। लेकिन अब उठ रहे हैं। सवाल-क्या धन ही बना मौत की वजह?

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Ayodhya

मंदिर परिसर में जांच करती पुलिस सांकेतिक फोटो सोर्स AI

अयोध्या के प्रसिद्ध रावत मंदिर के महंत राम मिलन दास का शनिवार शाम अचानक निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक, भोजन करने के कुछ ही देर बाद उनके मुंह से झाग निकलने लगा। शिष्यों ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया। लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पुलिस के अनुसार, मौत के कारणों की पुष्टि अभी नहीं हो पाई है। प्रारंभिक जांच में यह भी देखा जा रहा है कि कहीं हाल ही में बेची गई जमीन से जुड़ा कोई विवाद या आर्थिक लेन-देन तो इस घटना के पीछे नहीं है। बताया जा रहा है कि महंत ने लगभग दो महीने पहले अयोध्या के रामघाट क्षेत्र में स्थित अपनी जमीन करीब 8 करोड़ रुपये में बेची थी। यह रकम उनके खाते में आई थी। जिसमें पहले से लगभग डेढ़ करोड़ रुपये भी जमा थे।

पुलिस नौकरानी से कर रही पूछताछ

महंत की सेवा में लंबे समय से रह रही नौकरानी शकुंतला (40) को पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। शकुंतला पिछले 13 वर्षों से आश्रम में सेवा कर रही थी। जबकि इससे पहले उसकी मां भी यहीं काम करती थीं।

रावत मंदिर के महंत बाबा राम मिलन दास, अस्पताल पहुंचने से पहले थम चुकी थी सांसे

राम मिलन दास (48) मूल रूप से कुशीनगर जिले के बड़हरवा गांव के निवासी थे। वे पिछले 15 वर्षों से रावत मंदिर के महंत के रूप में सेवारत थे। उनके गुरु राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे और खुद राम मिलन दास की भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गहरी निकटता मानी जाती थी। सीएम योगी कई बार रावत मंदिर जाकर उनसे मिल चुके थे। शिष्यों के मुताबिक, शनिवार शाम करीब सात बजे सेविका शकुंतला ने उन्हें भोजन कराया था। कुछ देर बाद शकुंतला शोर मचाते हुए बाहर निकली। तब तक महंतजी के मुंह से झाग निकल रहा था। शिष्य उन्हें आनन-फानन में श्रीराम अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन उनकी सांसें तब तक थम चुकी थीं।

अयोध्या के संतों ने पोस्टमार्टम और निष्पक्ष जांच की उठाई मांग


घटना की जानकारी मिलते ही डीएम और एसएसपी मौके पर पहुंचे और आश्रम से जुड़े लोगों से बातचीत की। वहीं, दिगंबर अखाड़ा और अन्य मठों के संतों ने घटना की निष्पक्ष जांच और पोस्टमॉर्टम की मांग की है।


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