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अयोध्या जमीन खरीद मामला: पूर्व डीएम ने दी सफाई, कहा- ‘महर्षि ट्रस्ट से नहीं खरीदी जमीन, भूमि विक्रय को लेकर फैलाई जा रही भ्रामक खबरें’

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में जिम्मेदार ओहदों पर तैनात रहे अधिकारियों के परिवारीजनों के जमीन खरीद का मामला बढ़ता जा रहा है। डीएम, कमिश्नर, अयोध्या प्राधिकारण व नगर आयुक्त सीधे तौर पर जांच के घेरे में हैं। इस मामले में अयोध्या के पूर्व डीएम अनुज झा ने शुक्रवार को पत्र लिखकर अपनी सफाई दी है।

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Former DM Statement over Land Scam Maharshi Trust

Former DM Statement over Land Scam Maharshi Trust

अयोध्या. उत्तर प्रदेश के अयोध्या में जिम्मेदार ओहदों पर तैनात रहे अधिकारियों के परिवारीजनों के जमीन खरीद का मामला बढ़ता जा रहा है। डीएम, कमिश्नर, अयोध्या प्राधिकारण व नगर आयुक्त सीधे तौर पर जांच के घेरे में हैं। इस मामले में अयोध्या के पूर्व डीएम अनुज झा ने शुक्रवार को पत्र लिखकर अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा, 'मेरे और मेरे पिताजी के द्वारा महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से कोई भी जमीन नहीं खरीदी गई है। साथ ही महर्षि ट्रस्ट से भूमि खरीदने वाले किसी व्यक्ति से मेरा दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। मेरे पिता बद्री झा के आवासीय प्रयोजन के लिए 320 वर्गमीटर का एक प्लॉट अयोध्या में खरीदा गया था जो कि किसी अनूसुचित जाति के व्यक्ति का नहीं है।'

डीएम ने आगे कहा कि जो जमीन उनके पिता ने खरीदी है, उसका महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से और राम जन्मभूमि ट्रस्ट से लेना देना नहीं है। उनका दावा है कि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के द्वारा किए गए भूमि विक्रय के संबंध में उनके व उनके पिता के खिलाफ असत्य रिपोर्ट चलाई जा रही है।

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अधिकारियों पर है आरोप

बता दें कि अनुज झा 21 फरवरी 2020 से 23 अक्टूबर इसी साल तक अयोध्या के जिलाधिकारी रहे। वर्तमान में अनुज झा राज्य सरकार के पंचायती राज में निदेशक हैं और लखनऊ में रहते हैं। उनपर आवासीय (गैर कृषि) जमीन अयोध्या के तुलसीनगर के रहने वाले मंशाराम सिंह से जमीन खरीद का आरोप है। जमीन की रजिस्ट्री में बद्री झा का पता बिहार के मधुबनी जिले में स्थित उनके गांव का है। दरअसल, नवंबर 2019 में अयोध्या में श्रीराम मंदिर का रास्ता साफ होने के बाद नए सिरे से अयोध्या के विकास का खांका खींचा जाने लगा। अयोध्या का विकास प्राधिकारण क्षेत्र बढ़ाया गया, जिसमें व्यावसायिक और नए आवासीय क्षेत्र को चिन्हित करते हुए नया मास्टर प्लान बनाया जाने लगा।

नवंबर के अंत तक मास्टर प्लान फाइनल हुआ। लेकिन आरोप है कि डीएम, कमिश्नर, विकास प्राधिकारण, नगर, पुलिस ट्रैफिक, जिला प्रशासन के विभागों से जुड़े तमाम अधिकारियों के रिश्तेदारों ने जमीनें खरीद लीं। इसी की जांच की जानी है। इसमें देखा जाएगा कि क्या खरीदी गई जमीनें प्राइम लोकेशन पर हैं। अगर हैं तो इसकी जानकारी परिवार वालों को कैसे हुई।

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जांच के दायरे में सभी आरोप

सभी आरोप जांच के दायरे में है। अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने इस बारे में कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व विभाग को मामले की गहनता से जांच के आदेश दिए हैं। जल्द ही शासन को रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश है।


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