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अयोध्या में मनाया गया भगवान श्रीराम का प्राकट्य उत्सव

1949 में विवादित रामजन्मभूमि पर प्राकट्य हुई थी श्री राम की मूर्ति.

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Ram Yatra

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अयोध्या. राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम का प्रकट उत्सव मनाया गया। आज पौष शुक्ल पक्ष तृतीय तिथि पर सन् 1949 में राम जन्मभूमि स्थान पर प्रकट हुए थे। तब से यह प्राकट्य उत्सव परंपरागत तरीके से मनाया जा रहा है। यह प्रकट उत्सव में 13 दिसम्बर को कलश स्थापना के साथ शुरू हुआ था। 9 दिनों से चल रही भगवान की प्रकट उत्सव में कलश स्थापना तथा 9 दिनों तक रामार्चा पाठ हनुमान बाहुक, दुर्गा पाठ किया गया तथा आज भगवान के झांकी के साथ राम जन्मभूमि क्षेत्र के रामकोट की परिक्रमा की गई। इस कार्यक्रम के सयोजक संजय शुक्ला ने बताया कि भगवान श्रीराम का प्रकट उत्सव आज के दिन हुआ था। आज के ही दिन अधिग्रहित परिसर में सन् 1949 में भगवान श्रीराम प्रकट हुए थे। तब से लेकर यह कार्यक्रम भगवान के प्रकट उत्सव के रूप में मनाया जाता रहा है। जिसको लेकर आज भी भगवान कलश स्थापना को साथ लेकर भगवान की झांकी सजाकर भगवान श्रीराम की जन्म स्थान की परिक्रमा की गई तथा बताया गया कि भगवान का यह प्राकट्य उत्सव 1992 की घटना के पहले भगवान रामलला के जन्मभूमि पर मनाया जाता था, लेकिन यह कार्यक्रम अधिग्रहित क्षेत्र के बगल क्षीरेश्वर महादेव के स्थान पर 9 दिनों तक चलता है।

आज इस कार्यक्रम के अंतिम कड़ी में भगवान का स्वरूप बनाकर नगर के प्रमुख मार्ग होते हुए इसकी परिक्रमा की गई जिसमें कजियाना, टेढ़ी बाजार, दुरही कुआ, अशर्फी भवन डाकखाना जैसे मार्ग शामिल हैं। यहां से होते हुए यह यात्रा श्रृंगार घाट व पुनः क्षीरेश्वर महा देव मंदिर पर समाप्त हुई। इस यात्रा में स्थान पर भगवान के स्वरूप का स्वागत भी किया गया। यह कार्यक्रम श्री रामजन्मभूमि सेवा समिति द्वारा किया गया। इसमें समिति के महामंत्री राम प्रसाद मिश्रा, उपाध्यक्ष राम भद्र पाठक, संजय शुक्ला, राम जन्मभूमि के पक्षकार महंत धरम दास, महंत जन्मेजय शरण, अभिषेक मिश्रा, राम कोट के पार्षद रमेश दास, राजू दास, नन्द कुमार मिश्रा के साथ सैकड़ों भक्त शामिल रहे।