
Milkipur By Election 2025: अयोध्या के मिल्कीपुर सीट पर भाजपा, सपा और चंद्रशेखर की पार्टी ने पासी उम्मीदवार को टिकट दिया है। पासी कार्ड से भले ही भाजपा खुश है, लेकिन अवधेश प्रसाद के लिए यह कोई नया मामला नहीं है। अवधेश प्रसाद ने इससे पहले कई बार पासी फैक्टर को हराकर जीत हासिल की है। यह मामला साल 1985 से शुरू होता है, जब अवधेश प्रसाद ने सोहावल विधानसभा सीट से दूसरे पार्टी के द्वारा प्रयोग किए पासी फैक्टर को हराया था। अब सवाल यह है कि क्या उनके बेटे भी पासी फैक्टर को हराकर चुनाव जीत पाएंगे।
दरअसल, साल 1974 से अवधेश प्रसाद करीब 13 विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जिनमें 9 बार जीत हासिल की है। इनमें से भी 7 बार वह सोहावल विधानसभा सीट के विधायक रहे, जबकि 2 बार मिल्कीपुर सीट से चुनाव लड़ कर जीत हासिल की। इन चुनावों में करीब 8 बार दूसरे दलों ने पासी उम्मीदवार उतारकर इन्हें हराने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने आठों बार विपक्षी दलों की चाल नाकामयाब कर दी।
साल 1974 में अवधेश प्रसाद ने पहला विधानसभा चुनाव भारतीय क्रांति दल के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था, जिसमें उन्हें कांग्रेस के हुबराज कोरी ने मात दी थी। अवधेश प्रसाद ने अगला चुनाव साल 1977 में जनता पार्टी की तरफ से लड़ा था, जिसमें इन्होंने कांग्रेस को हराया और पहली बार विधायक बने। साल 1980 में पासी समाज के माधव प्रसाद ने उन्हें मात दे दी, लेकिन 1985 व 1989 अवधेश प्रसाद फिर विधायक बन गए।
साल 1991 में पासी समाज के रामू प्रियदर्शी ने भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा और जनता पार्टी से लड़ रहे अवधेश प्रसाद को हरा दिया। इसके बाद साल 1993, 1996, 2002 व 2007 में अवधेश प्रसाद लगातार जीते और विधायक पद पर बने रहे। 1993 से 2002 तक भाजपा ने पासी समाज के रामू प्रियदर्शी पर दांव लगाया और हार का सामना किया। 2007 में पार्टी ने पासी समाज की ऊषा रावत को चुनावी मैदान में उतारा और फिर भी जीत हाथ नहीं लगी।
साल 2012 में सुरक्षित सीट मिल्कीपुर बनी तो फिर अवधेश प्रसाद ने भाजपा के रामू प्रियदर्शी को हार का मजा चखाया। इसके बाद 2017 में भाजपा ने पासी समाज के गोरखनाथ बाबा पर दांव लगाया और कामयाब रहे। 2022 में फिर से पासा पलट गया है और अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर सीट से विधायक चुने गए।
Updated on:
20 Jan 2025 03:47 pm
Published on:
20 Jan 2025 03:42 pm
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