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अयोध्या में मिलते हैं राजा महाराजा के भवन और उनकी निशानियां

अयोध्या में प्राचीन भवनों का भी अलग इतिहास, कई बन गए श्रद्धा के केंद्र और कई खंडहर

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अयोध्या में बने है कई रियासतों के भवन

अयोध्या में बने है कई रियासतों के भवन

500 वर्ष के बाद भगवान श्री रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। और अयोध्या विश्व की राजधानी के रूप में पहचान दिलाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है।

उत्तर मध्य काल में स्थापित किये गए थे भवन

यह कोई पहला अवसर नही है जब अयोध्या को सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जानी जाती थी। उत्तर मध्यकाल में अयोध्या रियासतों की भी राजधानी कही जाती है। कहा जाता है कि अयोध्या तीर्थ होने के कारण सभी राजाओं का दौरा होता था।

देखरेख के अभाव में बन गए खंडहर

यहां पर देश के लगभग सभी स्टेट के भवन और राज भवन बने हैं। जिनमे कुछ भवन आज भी सुंदर बने हुए हैं। कुछ देखरेख के अभाव में खंडहर बन गए हैं। तो कई भवन जर्जर हालात में हैं।

दक्षिण भारत के भी रियासतों के भवन

अयोध्या में 10 वर्षों से रियासतों भवनों पर रिसर्च कर रहे रघुवर शरण ने बताया कि सर्वे के दौरान जानकारी मिली कि 16वीं से 18वीं शताब्दी के दरमियान भी अयोध्या आस्था के केंद्र में रही। और हिन्दू धर्म से जुड़े राजाओं के अयोध्या में मंदिर, भवन, धर्मशाला व परिसर बनाये गए है। बल्कि दक्षिण भारत के भी एक दो रियासतों के संकेत मिलते हैं।

60 रियासतों के मंदिर का मिल रहा संकेत

कहा कि पिछले कई वर्षों के सर्वें में अभी तक लगभग 60 रियासतों के मंदिर, भवन मिलते हैं। और इनमें कुछ स्थान ऐसे है जो आस्था के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित है।

150 वर्ष पहले कनक भवन का हुआ जीर्णोद्धार

जैसे कनक भवन मंदिर है जिसकी स्थापना टीकमगढ़ की महारानी रिजभान कुँवर ने कराई थी। हालांकि इसकी विरासत बहुत पुरानी है। कहा जाता है कि माता सीता को मुंह दिखाई में माता कैकेई ने दिया था। लेकिन काल के लंबे प्रवाह में जर्जर हो गया था। और उसका जीर्णोद्धार टीकमगढ़ की महारानी ने 150 वर्ष पहले कराया था।

विजवार रियासत के कंचन भवन

उसी तरह स्थापत्य का शानदार नमूना अयोध्या में सरयू तट पर कंचन भवन के नाम से जाना जाता है। विजवार रियासत था जो टीकमगढ़ की रियासत से संबंधित उप रियासत थी। वहां की महारानी कंचन कुँवर ने कराई थी।

बिहार के रियासत का भी मिलता है भवन

अहिल्याबाई होलकर ने देश मे मंदिर सरोवर का निर्माण कराया था। उसी कड़ी अयोध्या में भी एक मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर आज भी राम की पैड़ी पर स्थित है। और अयोध्या में प्राचीन सुरसर मंदिर जो बिहार के रियासत के मंदिर है। जो बहुत ही आकर्षक है। ऐसे ही अनेक मंदिर है जिससे यह साबित होता है।

रियासतों के प्रतिनिधित्व को लेकर बनवाया गया था भवन

अयोध्या में रियासतों के मंदिर स्थापित होने को लेकर एक और कारण सामने आया है कि उत्तर मध्य काल में यह केवल व्यक्तिगत आस्था से जुड़े थे। बल्कि अपने अपने क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व अयोध्या में मंदिर, भवन, धर्मशाला बनवाकर किया है।

देश भर का था प्रतिनिधित्व

इस प्रकार से अयोध्या में पूरे देश का प्रतिनिधित्व हो रहा था। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से अब रियासतें समाप्त होती जा रही है उसी तरह उन मंदिरों का अस्तित्व भी समाप्त होता जा रहा है। वहीं कहा कि यह सर्वे अभी पूरा नही हो सका है। कुछ व्यवधान आ जाने के कारण अधूरा है।

अयोध्या में बने है कई रियासतों के भवन

प्राचीन सबसे प्रसिद्ध कनक भवन मंदिर टीकमगढ़ ओरक्षा स्टेट,
अहिल्याबाई देवी मंदिर महारानी होलकर ने बनवाया,
छोटी देवकाली मंदिर के पास ग्वालियर स्टेट का भवन,
नयाघाट पर कुल्लू स्टेट का भवन,
बिहार के अमावां स्टेट का अमावां मंदिर जहां पर आज भी स्थित है महारानी का राजभवन,
बाबू बाजार स्थित नरहर स्टेट का मंदिर,
पाली स्टेट का पालिका मंदिर,
राजादेहरा सुल्तानपुर स्टेट का भवन,
मनकापुर स्टेट का मंदिर और राजमहल,
बांसी स्टेट का मंदिर,
ऋण मोचन घाट क्षेत्र स्थित कंचन भवन,
जानकीघाट स्थित रींवा स्टेट का मंदिर,
बुंदेलखंड क्षेत्र का हजारा स्टेट का एक हजारा मंदिर, बहराइच रियासत का मंदिर,
बौडी रियासत का मंदिर है।


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