राम मंदिर के लिए ट्रस्ट विदेश से नहीं ले पाएगा चंदा, यह नियम आ रहा आड़े
- नियम के मुताबिक ट्रस्ट का तीन साल पुराना होना अनिवार्य, तभी विदेशी चंदा मुमकिन

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
अयोध्या. मंदिर निर्माण (Ram Mandir Nirman) के लिए 15 जनवरी से श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Sri ram janmbhoomi teerth kshetra trust) देश के आम लोगों से चंदा जुटाना शुरू कर देगा, लेकिन विदेश से चंदा नहीं लिया जा सकेगा। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) के मुताबिक एफसीआरए (फॉरेन कॉन्ट्रीब्यूशन रेगूलेशन एक्ट) न होने की वजह से ट्रस्ट विदेशों से चंदा नहीं ले सकता है। दरअसल गृह मंत्रालय के नियमों के देखें, तो एफसीआरए (FCRA) के आवेदन के साथ ही किसी भी ट्रस्ट के लिए तीन साल की आडिट रिपोर्ट जरूरी होती है और राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट के गठन को अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ हैं। ऐसे में टेक्निकल तौर पर ट्रस्ट एफसीआरए के लिए भी आवेदन नहीं कर सकता।
हालांकि चंपत राय के मुताबिकगृह मंत्रालय के सामने इस नियम में छूट की मांग के साथ आवेदन का ऑपश्न खुला है, लेकिन ट्रस्ट ऐसा करेगा नहीं। वहीं विदेश में रह रहा भारतीय भी तभी चंदा दे पाएगा, जब उसका भारतीय बैंक में खाता हो और वह उसी से चंदा दे रहे हों। यहां तक कि कंपनियों के कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड का इस्तेमाल भी मंदिर निर्माण के लिए नहीं किया जाएगा। चंपत राय के मुताबिक सीएसआर फंड का इस्तेमाल बाद में संग्रहालय, पुस्तकालय और दूसरे अन्य कार्यों में किया जा सकता है, लेकिन मंदिर निर्माण में नहीं।
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कूपन के माध्यम से दे सकेंगे चंदा-
मंदिर निर्माण के लिए आम लोग ही चंदा दे सकेंगे, वह भी कूपन के माध्यम से। ट्रस्ट ने 10 रुपये से लेकर 4 करोड़ रुपए तक के कूपन से चंदा लेने का निर्णय लिया है। 100रुपए के 8 करोड़ कूपन होंगे व 1000 रुपये के 12 लाख कूपन होंगे। चंपत राय ने बताया कि किस तरह से ट्रस्ट मकर संक्रांति से माघ पूर्णिमा तक 42 दिनों में पूरे देश में धन संग्रह के लिए व्यापक जन-संपर्क अभियान चलाएगा। इतने समय में कम से कम आधी आबादी तक पहुंचने की कोशिश होगी, ताकि आम आदमी को मंदिर निर्माण की प्रक्रिया से जुड़ने का अहसास हो सके।
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सरकार से आर्थिक मदद न लेने का फैसला-
चंपत राय ने कहा कि ट्रस्ट ने कंपनियों और सरकारों से राम मंदिर निर्माण के लिए आर्थिक मदद न लेने का फैसला किया है। मंदिर केवल आम जनता के पैसों से बनेगा, जिससे जनता कह सके कि इसमें हमारा योगदान है। हां, जनसंपर्क अभियान के दौरान आम लोगों के साथ-साथ सभी पार्टियों के नेताओं व सरकार में शीर्षस्थ स्तर पर बैठे लोगों के पास भी आर्थिक सहयोग लिए संपर्क किया जाएगा, लेकिन यह आर्थिक सहयोग उनका व्यक्तिगत होगा। इसमें पार्टी या सरकारी खजाने का एक भी रुपया नहीं लिया जाएगा।
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