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राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला-परकोटे में पंचदेव और कुबेर टीले पर जटायु का होगा दर्शन, जाने ट्रस्ट की पूरी योजना

अयोध्या में भगवान श्री राम लला के भव्य मंदिर निर्माण को लेकर आयोजित निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक के बाद ट्रस्टी चंपत राय ने बताया माता अन्नपूर्णा की रसोई में बनेगा रामलला का भोग

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राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला-परकोटे में पंचदेव और कुबेर टीले पर जटायु का होगा दर्शन, जाने ट्रस्ट की पूरी योजना

राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला-परकोटे में पंचदेव और कुबेर टीले पर जटायु का होगा दर्शन, जाने ट्रस्ट की पूरी योजना

अयोध्या. जनवरी 2024 में भगवान श्री राम लला अपने मूल कर ग्राम विराजमान हो जाएंगे इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु गर्भगृह में भगवान श्री रामलला सहित भगवान गणेश, शंकर, हनुमान व सूर्य देवता का भी दर्शन मंदिर के परकोटे के बीच कर सकेंगे। तो वहीं परकोटे में ही माता अन्नपूर्णा की रसोई का भी निर्माण कराया जाएगा जहां भगवान श्री रामलला के लिए भोग तैयार होगा। इसके साथ ही परिसर में आने वाले श्रद्धालु महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ ,महर्षि विश्वामित्र और महर्षि अगस्त की प्रतिमा लगाई जाएगी तो वही परिसर में ही अलग-अलग स्थानों पर निषादराज, माता शबरी, अहिल्या की प्रतिमा लगाए जाने के साथ दक्षिण दिशा में स्थित कुबेर टीला पर जटायु जी का मंदिर बनेगा। यानी कि परिसर में आने वाले श्रद्धालु अलग-अलग स्थानों पर महर्षि और अन्य प्रमुख देवी देवताओं का भी दर्शन करेंगे।

मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक संपन्न

दरअसल अयोध्या में दो दिवसीय मंदिर निर्माण समिति की बैठक का आयोजन किया गया। और इस बैठक में भगवान श्री राम की भव्य मंदिर निर्माण के साथ राम जन्मभूमि परिसर के विकास की योजनाओं पर भी मंथन किया गया। जिसके बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय व मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र सहित आला अधिकारी अयोध्या के संपर्क मार्ग सुग्रीव किला से राम मंदिर तक जाने वाली सड़क मार्ग का भी निरीक्षण किया इस दौरान दर्शन मार्ग पर यात्री सुविधा जैसे बैठने की व्यवस्था शौचालय की व्यवस्था व पीने वाले पानी की व्यवस्थाएं भी उपलब्ध कराये जाने की जानकारी दी गई।

प्राचीन कुबेर टीले पर स्थापित होगा जटायु का मंदिर

इस बैठक में हर छह माह में जो काम होने हैं उन विषय पर मंथन किया जाता है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया महाऋषि वाल्मीकि, महा ऋषि वशिष्ठ ,महर्षि विश्वामित्र और महाऋषि अगस्त की प्रतिमा लगाई जाएगी। इसके अलावा निषादराज माता शबरी और अहिल्या जिन्हें भगवान राम ने पत्थर के रूप में स्पर्श करके मानव रूप दिया था उनका भी स्थान राम जन्मभूमि परिसर में होगा। महासचिव ने बताया जटायु का स्थान कुबेर टीला में चुना गया है ।कुबेर टीला पर चढ़ने का स्थान वहां चारों ओर चढ़ने की सुविधा किले के चारों ओर सुरक्षा यह सब इंजीनियरिंग के काम है। यह सब आने वाले समय में शुरू हो जाएंगे। इस प्रकार का निर्माण होना लगभग तय हो गया है। तुलसीदास की भी प्रतिमा लगाई जाएगी ।

परकोटे में बनेगा रामलला के गर्भगृह 5 अन्य मंदिर

परकोटे में 5 मंदिर बनने है ।एक में भगवान राम के पूर्वज सूर्य भगवान सात घोड़ों द्वारा खींचे जा रहे रथ पर सवार रहेंगे। हमारे यहां पर पंच देव की पूजा जिसमें एक सूर्य भगवान हैं। गणपति का भगवती का स्थान रहेगा। शंकर जी का स्थान रहेगा। हनुमान जी रहेंगे ।भगवान राम विष्णु के अवतार हैं इसलिए वह पंचदेव पूर्ण हो गए। जहां भगवान की रसोई बनेगी उत्तर दिशा में वहां अन्नपूर्णा जी का विग्रह रहेगा ।ऐसा लगभग बातचीत में आ गया है।

निलांबुज श्यामल कमलागंम होंगे श्री रामलला

भूतल पर राम लला की मूर्ति विराजमान होगी। मूर्ति की आकृति लंबाई चौड़ाई मोटाई इस प्रकार रहेगी जिसे भगवान राम का बाल स्वरूप में कोमलता उनके चेहरे और उनकी उंगलियों से प्रकट हो भगवान के नेत्र और उनके चरण यह भक्तों को दिखने चाहिए। भक्त चरणों में मस्तक लगाता है। इसलिए भगवान के चरणों के दर्शन और आंख से आंख मिली चाहिए। मूर्ति का विचार इस ढंग से रखा जाएगा जो वैज्ञानिकों के परामर्श से होगा ।रामनवमी के दिन दोपहर को 12:00 बजे सूर्य देवता बालक राम के भृकुटि मस्तक को प्रकाशित कैसे करेगा इस पर वैज्ञानिक मंथन कर रहे हैं । वहीं भगवान के स्वरूप को लेकर कहा कि निलांबुज श्यामल कमलागंम के आधर पर पत्थर मिल सकता है क्या इस पर चर्चा हुई है।

PCS रखेगा राम मंदिर ट्रस्ट के अकाउंट की देख रेख

अभी ट्रस्ट बना लेकिन नियमावली नही बनी है ।रूल्स एंड रेगुलेशंस उस पर भी 6 महीने से काम चल रहा है ।उस को अंतिम रूप देकर हस्ताक्षर हो गए हैं। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र इसके अकाउंट का डिजिटल लाईजेशन, डोनेशन मैनेजमेंट सिस्टम और धीरे-धीरे जो अन्य आवश्यकताएं होगी वह ऑनलाइन हो सके। इस कार्य को पीसीएस अपने हाथ में ले लिया है। इसके लिए एक अनुबंध में आज हस्ताक्षर हो गए हैं। ऐसे दो कार्यों पर सबकी सहमति बन गई है। परकोटा के मंदिरों की सहमति और अन्य 6 अस्थान और कुबेर टीला पर जटायु मंदिर की प्रकाश व्यवस्था फ़साड मंदिर के अंदर का प्रकाश मंदिर का बाहरी स्वरूप कैसे प्रकाश से प्रकाशित हो इस पर कुछ मौलिक बातें हुई है ।आंखों में प्रकाश ज्यादा न लगे इसका भी ख्याल रखा जा रहा है।


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