
अयोध्या
अयोध्या : अमेरिका के सीआईए संस्था द्वारा विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल को धार्मिक उग्रवादी संगठन कहे जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हमें किसी संस्था के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है हमारा प्रमाण पत्र स्नेह,प्यार,दुलार और देश के संतों का आशीर्वाद है विश्व हिन्दू परिषद् के केंदीय मंत्री राजेन्द्र सिंह पंकज ने अमेरिका ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए संस्था के रिपोर्ट गलत साबित करते हुए कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया.
एक्सीडेंटल हिन्दू कहने वाले के अवलाद आज जाकेट के ऊपर जनेऊ पहनकर मंदिरों के चक्कर में है.
विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेन्द्र सिंह पंकज ने कहा कि यह कार्य पहले संघ के साथ में भीं होता रहता था इसे लाठी डंडा का संगठन कहा जाता था बजरंग दल के लोग संघर्ष कर रहे थे उसको इस एजेंसी ने देख लिया लेकिन यह नहीं देखा कि पूरे देश मे 55 हजार एकल विद्यालय व हजारों सेवा केंद्र विश्व हिन्दू परिषद् चला रही है उसे नहीं देख रही है . देश का सर्वोच्च व्यक्ति कहता था कि मै एक्सीडेंटल हिन्दू हूँ और आज उसी की अवलाद जाकेट के ऊपर जनेऊ पहनकर मंदिरों में चक्कर कट रहे है जो साधु संत शंकराचार्य सोने की ईंटों के नीचे पैर नहीं रखते थे उनको एक मंच पर बिना सिंहासन के बैठाया है. हरिद्वार के कुंभ में सरकार अखाड़ों के मेल-मिलाप कराने में फेल हो गई तो विहिप ने ही इसी राम नगरी अयोध्या में सभी को एक सूत्र में बांधने का कार्य विश्व हिन्दू परिषद् ने किया.
भारत नेपाल के संबंधो को बढाने का कार्य विहिप ने किया
भारत औए नेपाल की दूरियां बढ़ गई थी तो विहिप ने नेपालनरेश को भारत के हरिद्वार में बुलाकर स्वागत और सम्मान किया और फिर भारत के नेपाल के संबंधो को निकट लाये और फिर अयोध्या से राम बारात निकल करके भारत नेपाल के क्या रिश्ते है उसे याद दिलाया व सांस्कृतिक रिश्ते जो कमजोर पड़ गयी थी उसको पुनः ऊर्जावान बना करके संबंधो को नई चेतना दी। बौद्धों को काशी के पंडितो ने खदेड़ कर बाहर निकाला था उन्ही पंडितो ने विहिप के कहने पर बौद्धों को बुलाकर स्वागत किया और सम्मलेन का फीता कटवाया था और नेपाल के कई हिस्सों में उनके सम्मलेन कर उन्हें निकट लाये. नागालैंड की महारानी गाईडीलू जिसे लोग झांसी की रानी के नाम से जानते हैं उनका सम्मान इलाहाबाद की धरती पर एक सम्मलेन में किया गया। सरदार पटेल की विरासत को कांग्रेस भूल गई थी और 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने यात्रा निकालकर देश की स्वाधीनता जनांदोलन से भी बड़ा आंदोलन खड़ा कर सैकड़ों वर्ष पुराने कलंकित ढांचे को सदा के लिए समाप्त कर दिया इसलिए हमें किसी के प्रमाण पत्र की जरुरत नहीं सिर्फ हमारे कार्य और निष्ठा ही हमारा प्रमाण है.
Published on:
15 Jun 2018 09:49 pm
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