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डग्गामार बसों के सहारे रोडवेज का सफर, चलाने में ड्राइवर भी खाते हैं खौफ

लखों जिंदगियों से खेल रही योगी सरकार, जान हथेली पर रखकर पूरा कर रहे लोग। रोडवेज विभाग डग्गामार बसों का धड़ल्ले से कर रहे संचालन, आए दिन हो रही दुर्घटना। बीच शहर में फेल हुई स्टेरिंग, चालक की समझदारी और डिवायडर से टला बड़ा हादसा।

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Roadways Bus

आजमगढ़. यात्री सुविधाओं को लेकर बड़े बड़े दावे कर रही योगी सरकार लाखों यात्रियों की जिन्दगी से खेल रही है। कबाड़ हो चुके वाहनों को कंडम घोषित करने के बजाय विभाग सड़क पर दौड़ा रहा है जिसके कारण आएदिन हादसे हो रहे है। दो दिन पूर्व तो शहर के मध्य सरकारी बस की स्टेरिंग फेल हो गयी। अच्छा था कि बगल में डिवाइडर था और चालक ने सूझबूझ से वाहन को रोक लिया नहीं तो बड़ा हादसा होना तय है। खुद चालक दावा कर रहे है जिस बस को वे चला रहे हैं वह मौत का सामान है। जान हथेली पर रखकर वे यात्रियों को उनके मंजिल तक पहुंचाते है। कभी भी कहीं भी बड़ा हादसा हो सकता है। विभाग के अधिकारी है कि झूठे दावे करने और सरकार झूठा वादा करने में व्यस्त है।

बता दें कि आजमगढ़ व आसपास के जिलों में यातायात का मुख्य साधन बस है। खासतौर पर आजमगढ़ एक ऐसा जिला है जो गोरखपुर और इलाहाबाद से सीधे रेल से नहीं जुड़ा है। मुंबई जाने वाली गोदान एक्सप्रेस को छोड़ दे तो एक भी ट्रेन इस रूट पर नहीं है। बस यात्रा लोगों की मजबूरी है। आजमगढ़ परिक्षेत्र में परिवहन निगम 367 बसों का संचालन कर रहा है। इसमें आजमगढ़ डिपो में 81 व अंबेडकर डिपो में 67 बसें है। केवल आजमगढ़ व अंबेडकर डिपो में 12 ऐसी बसे है जिनकी बाड़ी जर्जर है। खिड़किया टूटी हुई है तो इंजन का भी बुरा हाल है। ये बसें आए दिन दुर्घटना का शिकार हो रही है। इसके अलावा आधा दर्जन और बसे हैं जो कंडम घोषित करने के योग्य है लेकिन उनका भी संचालन किया जा रहा है।

यहीं नहीं निगम के गैरेज में भी घोर लापरवाही हो रही है। अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि एक बस गाजीपुर से गोंडा के लिए सवारी लेकर चलती है और आजमगढ़ डिपो में पहुंचने के बाद परिचालक को लगता है कि स्टेरिंग में दिक्कत है वह गैरेज में जाता है और गाड़ी को ठीक बता दिया जाता है। चालके जैसे ही रोडवेज से चार सौ मीटर जाती है स्टेरिंग फेल हो जाती है। वाहन की गति शहर होने के कारण कम थी और बगल में ही डिवाइडर था जिसके कारण हादसा टल गया। परिचालक विजय कुमार पांडेय ने बताया कि यह कोई नई बात नहीं है बस कब कहां खड़ी हो जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। हम जान तो जोखिम में डालते ही है साथ ही यात्रियों की गाली भी सुननी पड़ती है। बस चालक रमेश का कहना है यह रोज की बात है। गैरेज में वाहन का क्या होता है क्या नहीं, हम नहीं जानते। लिए हर दिन इस तरह की घटनाएं होती है जब वाहन चलने के योग्य नहीं है तो फिर उसका संचालन क्यों होता है, ये समझ से परे है। वैसे यह महज बानगी है। इस तरह की घटनाएं रोज होती हैं लेकिन सरकार और विभाग आंख मूदकर बैठा है। यात्री मजबूरी में जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे हैं।

By Ran Vijay Singh