बता दें कि रविकांत मिश्र कुछ समय पहले छुट्टी पर घर आया था। उस समय वह एक विवाद में फंस गया था। हुआ यूं कि कुछ लोग करतालपुर स्थित माॅडल शाॅप में शराब पी रहे थे। तभी रविकांत भी वहां पहुंच गया था। उस दौरान वहां हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति घायल हुआ था। दो माह पूर्व हुई इस घटना में रविकांत को नामजद किया गया था जिसके कारण उसे जेल जाना पड़ा था। जेल से छूटते ही एक माह पूर्व वह गुलमर्ग चला गया था। आतंकी हमले में घायल हो के कारण 20 दिन के लिए घर आने की इजाजत दी गयी थी। सोमवार की रात वाराणसी से आजमगढ़ आते समय उसे स्कार्पियों में सवार उसके रिश्तेदारों को कार से पीछा करने का संदेह हुआ और गोसाई की बाजार पहुंचकर वे नहर का रास्ता पकड़ लिये। यह बात अभी तक किसी की समझ में नहीं आ रही है कि उनका पीछा कोई क्यों करेगा। कारण की उसके आने की जानकारी परिवार व रिश्तेदारों को हुई थी। यदि यह वहम था तो यहीं कहा जायेगा कि मौत ही उसे नहर के रास्ते पर खीच लायी थी। कारण कि नहर का रास्ता सिंगल लेन है ओर बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। गोसाई की बाजार से मेंहनगर, उंची गोदाम, छतवारा होते हुए आजमगढ़ आने में लोग दिन भी कतराते हैं। यदि इन्हें पीछा करने का डर न होता तो शायद वे इस रास्ते पर नहीं आते जहां गौरडीह खालसा के पास उनकी मौत खड़ी थी।