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शायद मौत ने ही बदल दिया था रास्ता

एक माह पूर्व गया था गुलमर्ग

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Abhishek Srivastava

Jan 12, 2016

आजमगढ़. पठानकोट आतंकी हमले में घायल होने के बाद छुट्टी पर आ रहे रविकांत की मौत ने ही शायद रास्ता बदलवा दिया था। यदि वह सीधे रास्ते से आता तो शायद दुर्घटना का खतरा कम होता। सैनिक की मौत से घर में कोहराम मचा हुआ है। पोस्टमार्टम हाउस पर भी भारी भीड़ है।
बता दें कि रविकांत मिश्र कुछ समय पहले छुट्टी पर घर आया था। उस समय वह एक विवाद में फंस गया था। हुआ यूं कि कुछ लोग करतालपुर स्थित माॅडल शाॅप में शराब पी रहे थे। तभी रविकांत भी वहां पहुंच गया था। उस दौरान वहां हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति घायल हुआ था। दो माह पूर्व हुई इस घटना में रविकांत को नामजद किया गया था जिसके कारण उसे जेल जाना पड़ा था। जेल से छूटते ही एक माह पूर्व वह गुलमर्ग चला गया था। आतंकी हमले में घायल हो के कारण 20 दिन के लिए घर आने की इजाजत दी गयी थी। सोमवार की रात वाराणसी से आजमगढ़ आते समय उसे स्कार्पियों में सवार उसके रिश्तेदारों को कार से पीछा करने का संदेह हुआ और गोसाई की बाजार पहुंचकर वे नहर का रास्ता पकड़ लिये। यह बात अभी तक किसी की समझ में नहीं आ रही है कि उनका पीछा कोई क्यों करेगा। कारण की उसके आने की जानकारी परिवार व रिश्तेदारों को हुई थी। यदि यह वहम था तो यहीं कहा जायेगा कि मौत ही उसे नहर के रास्ते पर खीच लायी थी। कारण कि नहर का रास्ता सिंगल लेन है ओर बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। गोसाई की बाजार से मेंहनगर, उंची गोदाम, छतवारा होते हुए आजमगढ़ आने में लोग दिन भी कतराते हैं। यदि इन्हें पीछा करने का डर न होता तो शायद वे इस रास्ते पर नहीं आते जहां गौरडीह खालसा के पास उनकी मौत खड़ी थी।

फालोअप:- कई दुर्घटनाएं कर चुका है चालक
आजमगढ़। रविकांत के रिश्तेदार जिस स्कार्पियो वाहन से उसे लेने गये थे। उसका चालक पहले भी कई दुर्घटना कर चुका है। स्थानीय लोगों पर विश्वास करें तो यह उसके द्वारा हुई पांचवीं दुर्घटना है। एक बार तो वह रानी की सराय में राह चलते व्यक्ति को भी टक्कर मार दिया था। इसलिए दुर्घटना के पीछे लोग स्कार्पियो चालक की लापरवाही को भी जिम्मेदार मान रहे हैं।

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