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मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रही विद्या चौधरी ने बसपा छोड़ थामा सपा का दामन

वर्ष 2002 व 2007 में मेंहनगर विधानसभा से चुनी गयी थी विधायक 2012 व 2017 के चुनाव में लगातार करना पड़ा था हार का सामना विद्या की दलितों में मानी जाती है गहरी पैठ, बसपा को उठाना पड़ सकता है नुकसान

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पूर्व मंत्री विद्या चौधरी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने शुक्रवार को एक बार फिर बसपा को बड़ा झटका दिया। अखिलेश यादव ने मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रही विद्या चौधरी को लखनऊ में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करायी। विद्या के सपा में शामिल होने से बसपा को बड़ा झटका लगा है कारण कि विद्या की दलितों में गहरी पैठ मानी जाती है और वे दो बार मेंहनगर क्षेत्र से विधायक रह चुकी है।

आजमगढ़ की रहने वाली विद्या चौधरी की शिक्षा दीक्षा बीएचयू से हुई है। बामसेफ के समय से विद्या चौधरी डा. अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाने में लगी हुई थी। बसपा के उदय के बाद से ही वह पार्टी में थी। उन्हें बसपा मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का बेहद करीबी माना जाता है। बसपा ने वर्ष 2002 में विद्या को आजमगढ़ जिले की मेंहनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया था। विद्या चुनाव जीतने में सफल रही थी।

इसके बाद वर्ष 2007 में इन्हें दोबारा मेंहनगर से लड़ाया गया। विद्या ने लगाताार दूसरी जीत दर्ज की। बसपा की यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो सबसे पहले उन्हें मंत्री बनाकर वित्त विभाग सौंपा गया। बाद में उनका विभाग बदलकर महिला कल्याण मंत्री बनाया गया। विद्या की गिनती बसपा के मजबूत नेताओं में होती रही है। दलितों के बीच गहरी पैठ के कारण पार्टी ने कभी प्रत्याशी बदलने की कोशिश नहीं की।

वर्ष 2012 के चुनाव में बसपा ने तीसरी बार मेंहनगर से मैदान में उतारा था लेकिन सपा की लहर में विद्या को हार का सामना करना पड़ा। सपा के बृजलाल सोनकर विधायक चुने गए। इसके बाद भी पार्टी में इनका दबदबा कायम रहा। वर्ष 2017 में एक बार फिर पार्टी ने विद्या पर दाव लगाया लेकिन सपा ने बीजेपी छोड़कर आये पूर्व विधायक कल्पनाथ पासवान को मौदान में उतार दिया। विद्या को लगातार दूसरा चुनाव हारना पड़ा।

अब विद्या चैधरी ने पाला बदल लिया है। शुक्रवार को उन्होंने लखनऊ में सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। खुद अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। सूत्रों की मानें तो विद्या चैधरी लोकसभा चुनाव के बाद सपा बसपा का गठबंधन टूटने से नाराज थी। वह चाहती थी कि अगले चुनाव में भी गठबंधन बना रहे। बहरहाल विद्या के सपा में जाना बसपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे पार्टी की राह और मुश्किल होगी। इस संबंध में विद्या चैधरी का कहना है कि उन्होंने काफी सोच समझकर सपा ज्वाइन किया है। बसपा में अब उन्हें घुटन सी महसूस हो रही थी।

BY Ran vijay singh