26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

देर से की गेंहूं की बुवाई फिर भी होगी अच्छी फसल, बस करना होगा ये काम

अगर गेहूं की बुवाई देर से भी की जाए तो किसान अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। बस उन्हें बीज चयन सहित कुछ खास चीजों पर ध्यान देना होगा।

3 min read
Google source verification
गेहूं की फसल

गेहूं की फसल

किसान अपने दिल से यह ख्याल निकाल दें कि पिछेता बोए गए गेहूं में अच्छा उत्पादन नहीं होगा। हम दिसम्बर माह के अंतिम चरण में भी गेहूं की बुवाई कर अच्छा उत्पादन कर सकते हैं। बस जरूरी है कि तकनीकी चीजों पर ध्यान दिया जाए। साथ ही देर से बुवाई के लिए अच्छी प्रजाति के बीज का चयन आवश्यक है।

रबी के बोआई के लिए क्या है सही समय
कृषि विज्ञान केन्द्र कोटवां के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक, रबी के फसल की बुवाई नवम्बर मध्य से जनवरी के प्रथम सप्ताह तक होती है। गेहूं के बुवाई के लिए 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है। 15 दिसम्बर के बाद गेहूं की बुवाई को विलम्ब और 25 दिसम्बर के बाद अति विलम्ब की श्रेणी में रखा जाता है।


नहरी क्षेत्रों में लंबी अवधि की धान प्रजाति को उगाना, कम व अधिक नमी का होना, तोरिया, अगेती आलू, गन्ना की देर से कटाई के कारण गेहूं की बुवाई में विलंब होता है। ऐसे में जरूरी है कि हम ऐसी प्रजातियों का चयन करें जो देर से बुवाई के बाद भी अच्छा उत्पादन दें। कारण कि देर से बुवाई होने से मृदा और कम तापमान जमाव को प्रभावित करता है। धीमी बढ़वार, सीमित उत्पादन अवधि एवं मध्य फरवरी के बाद तेज और गर्म चलने वाली पछुआं हवाएं पिछेता गेहूं की उपज को प्रभावित करती हैं। इसलिए सचेत रहना जरूरी है।


देरी होने पर इन प्रजातियों का चयन करें किसान
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक 15 दिसंबर के बाद डीबीडब्लू 14, एचयूडब्लू 234, पीबीडब्लू 373, आरआर 21, एचडी 2346, एनडीडब्लू 1014, 1076, के 7903, उन्नत हलना आदि प्रजातियों के बीज की बुवाई करना चाहिए। तेज व समान जमाव के लिए पूर्व के फसल की 8 से 10 दिन पहले ही सिंचाई कर देनी चाहिए। ताकि खेत की तैयारी और बुवाई जल्दी से सम्पन्न कराई जा सके।


किसान कैसे करें फसल की बोआई
किसान बुवाई में नवीन तकनीकि का प्रयोग करें। वे हैपी सीडर, जीरो सीडड्रिल, सुपर सीडर से बुवाई कर सकते हैं। देर से बुवाई करते समय 20 से 25 प्रतिशत तक बीज की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। अच्छी उपज सके लिए उर्वरक प्रबन्धन अति आवश्यक है। इसमें 100ः 40ः 40ः 200 किग्रा नत्रजन, फास्फोरस, पोटास व जिप्सम प्रति हेक्टेअर को बेसल ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करें। टाप ड्रेसिंग में शेष नत्रजन के साथ 20-25 किग्रा सूक्ष्म पोषक तत्वों का मिश्रण का प्रयोग प्रथम सिंचाई के बाद करें।

यह भी पढ़ेंः सीबीएसई बोर्ड के छात्र के सावधान, प्रैक्टिकल परीक्षा छूटी तो दोबारा नहीं मिलेगा मौका


अधिक सिंचाई की होती है जरूरत
डा. आरपी सिंह के मुताबिक, देर से बोए गए गेहूं में जल्दी-जल्दी सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई 15 से 20 दिन बाद करनी चाहिए। बालियों के दुग्धावस्था तक नमी बनाए रखनी चाहिए। इससे फसल की वृद्धि और विकास तेज होने तथा गर्म हवाओं के कुप्रभाव से फसल का बचाव होता है। पौधे की वृद्धि के लिए हार्माेन्स जैसे प्लानोफिक्स या साइकोसेल को 2 प्रतिशत यूरिया और 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का पर्णिय छिडक़ाव करना चाहिए। इससे उत्पादन बढ़ जाना चाहिए।

यह भी पढ़ेंः BJP के इस सांसद ने खतौली की हार को किया स्वीकार, मैनपुरी में बीजेपी की नहीं मान रहे हार


अच्छे उत्पादन के लिए खर पतवार नियंत्रण जरूरी
अच्छे उत्पादन के लिए फसल में खर पतवार का नियंत्रण जरूरी है। इसके लिए सल्फोसल्फ्यूरान 33 ग्राम और मेटसलफ्यूरान 20 ग्राम को एक साथ मिलाकर छिड़काव करें। इसके अलावा कई कम्पनियों द्वारा उक्त रसायन का बना-बनाया रसायन मिलता है।


उसे 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेर प्रथम सिंचाई के 5-6 दिन बाद छिडक़ाव करना चाहिए। इससे सभी प्रकार के खर-पतवार (पतली पत्ती व चौड़ी पत्ती) एक ही छिडक़ाव में नष्ट हो जाते हैं। यूरिया की टाप ड्रेसिंग खर-पतवारनाशी प्रयोग के 4-5 दिन बाद करें।