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प्रतिबंध के बाद भी नहीं रुका अवैध रेत खनन

पुलिस, विभाग की मिलीभगत से चल रहा खेल, दिनदहाड़े माफिया कर रहे नर्मदा तट को खोखला, गुंड़ों के डर से ग्रामीण भी खामोश, सूचना देने पर भी नहीं होती कार्रवाई

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Manish Arora

Jul 05, 2017

Illegal sand mining on the Narmada coast.

Illegal sand mining on the Narmada coast.

बड़वानी. सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी (राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण) की रोक के बाद भी जिले में नर्मदा तटों से अवैध रेत खनन का खेल चालू है। सरकार के नए आदेश ने नर्मदा के साथ अन्य नदियों पर भी वैध-अवैध रेत खनन पर रोक लगा दी है। इसके बाद रेत की बढ़ती मांग ने अवैध रेत खनन को बढ़ा दिया है। रेत खनन का खेल अलसुबह से शुरू होता है। नर्मदा बचाओ आंदोलन का आरोप हैकि रेत खनन की जानकारी होने के बाद भी विभाग और पुलिस कार्रवाई करने से कतराती है। वहीं, ग्रामीण भी किसी विवाद के डर से अवैध रेत खनन होते देखते रहते है। नबआं की याचिका पर 2015 में सरदार सरोवर बांध डूब क्षेत्र में एनजीटी ने रेत खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद भी नर्मदा तटों पर अवैध रेत खनन आज तक जारी है। नबआं के राहुल यादव ने बताया कि पिछले दो साल में सैकड़ों निजी, सरकारी निर्माण कार्य हुए है। इसके बाद भी अवैध रेत खनन के चलते किसी भी निर्माण कार्य में बाधा नहीं आई है। वर्तमान में भी शहर में कई निर्माण कार्य चल रहे है और रेत की मांग पूरी हो रही है। कईबार इसकी शिकायत भी खनिज विभाग और पुलिस को की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कभी कभार दिखावे के लिए पुलिस अवैध रेत के ट्रैक्टर-ट्रॉली पकड़ लेती है।




प्रतिबंध का फायदा उठा रहे माफिया
जिले में नर्मदा नदी में रेत खनन पर लगी रोक का फायदा रेत माफियाओं ने उठाया है। बढ़ती मांग के साथ रेत के दाम आसमान छूते चले गए। पूर्व में रेत खदानों की नीलामी के बाद जहां प्रति ट्रॉली रेत की कीमत एक हजार से 1500 रुपए पड़ती थी। वहीं, अब प्रतिबंध के बाद रेत की एक ट्रॉली 3500 से 4000 तक बेची जा रही है। तीन गुना फायदे के चलते रेत माफिया बड़ी मात्रा में रेत खनन कर रहे हैं। नबआं के राहुल यादव ने बताया कि आज भी छोटा बड़दा, भीलखेड़ा, अवल्दा, रहटगांव, चिरमोई, राजघाट के पीछे, पेंड्रा, पिपलूद खेड़ी, देदला, उटावद, धनोरा में नर्मदा तटों पर खनन हो रहा है।




सरकारी नीलामी की कोईव्यवस्था नहीं
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने रेत खनन पर रोक लगाने के साथ ही रेत की मांग को देखते हुए बालू की सरकारी नीलामी की घोषणा भी की थी। जिले में अब तक कहीं भी बालू रेत की सरकारी नीलामी की व्यवस्था नहीं है। पहले जिले में वैध रूप से डंपरों के माध्यम से अलीराजपुर और खरगोन से रेत की सप्लाय हो रही थी। प्रदेश सरकार के नए आदेश के बाद ये सप्लाय भी रुक गई है। ऐसे में आधे अधूरे निर्माण कार्यों को पूरा करने के लिए लोगों को रेत माफियाओं का ही सहारा लेना पड़ रहा है।

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