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ग्राउंड रिपोर्ट: लोगों का पेट भरने वाले किसान मजदूरों को दे रहे रोजगार, रोजाना 500 से 700 कमा रहे बेरोजगार

Highlights गुरुग्राम में कंपनी बंद होने पर गांव लौटे रजनीश को मिला काम नोएडा में राजमिस्त्री के यहां काम पर करते थे इमरान शहरों की चकाचौंध देखकर गांव छोड़ दिया था लोगों ने

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बागपत। लॉकडाउन के दौरान भले ही लोगों के सामने रोजी—रोटी की समस्या आन खड़ी हो। रोजगार खत्म होने का खता मंडरा रहा है। शहरों में फैक्ट्रियां बंद होने से मजदूर गांव की आरे पलायन कर चुके हैं। लेकिन राहत भरी खबर यह है कि इन मजूदरों को गांव में रोजगार मिल गया है। रोजगार देने वाले भी किसान हैं। अब मजदूरों को भी गांव का माहौल भाने लगा है।

गेहूं की चल रही है कटाई

इस समय गेहूं की कटाई चल रही है। ऐसे समय में किसानों को सबसे ज्यादा मजदूरों की आवश्यकता होती है। शहर से मजदूरी नहीं मिलने पर हजारों लोग गांव लौट आए हैं। अब उन लोगों को गांव के किसान ही रोजगार दे रहे हैं। ये लोग कभी शहर की चकाचौंध से प्रभावित होकर गांव छोड़कर चले गए थे। एक-एक मजदूर आज प्रतिदिन 500—700 रुपए तक कमा रहा है। इतना ही नहीं कुछ को तो 1000 रुपए तक की मजदूरी मिल रही है।

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परिवार भी लगा है काम में

गुरुग्राम की एक कंपनी में काम करने वाले मुबारिकपुर निवासी रजनीश कुमार भी इन्हीं में से एक हैं। लॉकडाउन में काम बंद हुआ तो वह भी परिवार के साथ अपने गांव वापस लौट आए। गांव में आने के बाद गेहूं की कटाई में लग गए। प्रतिदिन वह 1 बीघा गेहूं की कटाई कर 500 से 700 रुपए कमा रहे हैं। उनका परिवार भी यहां गेहूं की कटाई में लगा हुआ है। उनका कहना है कि वह भी लोगों की तरह पहले गांव छोड़कर शहर चले गए थे। अब लॉकडाउन में सब बंद हो गया है तो वह घर लौट आए हैं। यहां उनको रोजाना 500 से 700 रुपये मिल जाते हैं। गांव का माहौल भी बहुत अच्छा है। आबोहवा भी साफ है। कभी—कभी जंगल में भी टहलने चले जाते हैं।

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गांव आकर अच्छा लगा

कुछ ऐसा ही हाल रटौल निवासी इमरान का है। उनका कहना है कि वह नोएडा में राजमिस्त्री के यहां काम पर लगे हुए थे। लॉकडाउन में सब काम बंद हो गए। उन्हें गांव में चोरी-छिपे लौटना पड़ा। यहां पर आकर गेहूं की मशीन पर लगे हुए हैं। प्रतिदिन 500 से 600 रुपये की मजदूरी आसानी से हो जाती है। गांव आकर अच्छा लग रहा है लेकिन धूप में काम करने की आदत नहीं है तो कठिनाई होती है।

किसान भी हुए खुश

मुबारिकपुर निवासी किसान रमेश प्रधान ने कहा कि गांव में तो पहले से ही रोजगार के काफी अवसर हैं लेकिन प्रशासन की अनदेखी और शहरों की चकाचौंध ने इन लोगों को गांव से शहर भेज दिया। लॉकडाउन के दौरान सभी को गांव याद आने लगा है। बहुत से लोग गांव में आए हैं। सभी को रोजगार मिला है। इस बार गेहूं की कटाई में किसानों को ज्यादा दिक्कत भी नहीं हो रही है। मजदूर मिलने के कारण किसान भी खुश हैं।