
बागपत में मर्डर के बाद जांच करती पुलिस। इनसेट में संगीता की फाइल फोटो और हत्यारोपी पति रमन पाल।
सुबह 8:00 बजे का समय। खेकड़ा का शाह गार्डन इलाका। गालियों में पूरी तरह चहल-पहल शुरू हो गई थी। कहीं, प्रेशर कुकर की सीटी सुनाई दे रही थी, तो कहीं लोग ऑफिस जाने के लिए अपनी गाड़िया सटार्ट कर रहे थे। इसी बीच संगीता का ममेरा भाई राजीव ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकला। उसके जाने के बाद संगीता का पति रमनलाल घर आया।
अचानक बंद मकान के भीतर से संगीता की चीखें सुनाई देने लगीं। वह चिल्ला रही थी, रहम की भीख मांग रही थी…गिड़गिड़ा रही थी कि मुझे छोड़ दो… मेरी जान बख्श दो, लेकिन रमन लाल के सर पर खून सवार था। आवाज सुनकर लोग संगीता के मकान के बाहर इकट्ठा हुए। ठीक 5 मिनट बाद, अचानक सन्नाटा पसर गया। चीखें बंद हो चुकी थीं।
दरवाजा खुला। रमनलाल बाहर निकला। उसके चेहरे पर न कोई पछतावा था, न डर। वह चुपचाप भीड़ के सामने से होता हुआ निकल गया। किसी को अंदाजा नहीं था कि वह अंदर क्या छोड़ आया है। कुछ देर बाद जब पुलिस पहुंची, तो मंजर देख पुलिसवालों के भी पैर ठिठक गए। ये बातें संगीता के पड़ोसियोंने बताई।
कमरे के अंदर संगीता का क्षत-विक्षत शव पड़ा था। फर्श खून से लाल था। तभी पुलिस की नजर जमीन पर पड़ी एक कटी हुई अंगुली पर गई। शायद संगीता ने हथौड़े के वार को रोकने की कोशिश की होगी, और भारी चोट से उसकी अंगुली शरीर से अलग हो गई। सिर, पैर और गले पर चोट के गहरे निशान उसकी तड़प की गवाही दे रहे थे।
पुलिस ने संगीता के ममेरे भाई राजीव को फोन किया तो उसने कहा कि मेरा कोई मतलब नहीं है। यह कहकर उसने फोन काट दिया और स्विच ऑफ कर लिया। शाम ढल गई, लेकिन वह न तो थाने आया और न ही उस घर में, जहां उसकी बहन की लाश पड़ी थी।
Updated on:
26 Dec 2025 11:20 am
Published on:
26 Dec 2025 11:17 am
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