कौन हैं श्रुति देवी, जिस पर बागपत में हुआ हंगामा, राहुल गांधी ने साधा निशाना एबीवीपी ने दिया जवाब
- बागपत में 106 साल पुराने दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज में स्थापित श्रुति देवी (Shruti Devi Jain goddess idol) की मूर्ति को लेकर विवाद शुरू
- पांच पर एफआइआर, एबीवीपी को मांगनी पड़ी माफी

पत्रिका एक्सप्लेनर
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
बागपत. यूपी के बागपत स्थित 106 साल पुराने दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज में चार साल पहले स्थापित श्रुति देवी की मूर्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दो दिन पहले इस मूर्ति को हटाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया था। मूर्ति को अपमानित करने की कोशिश की गयी। इस मामले में पुलिस ने 4 एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज किया है। इस प्रकरण पर भाजपा नेताओं की चुप्पी पर तंज कसते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया था और अभाविप पर निशाना साधा था। अब जैन समाज मूर्ति के अपमान को लेकर आंदोलित है और मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है।
दरअसल, 2016 में बागपत स्थित दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज में श्रुति देवी की प्रतिमा स्थापित हुई थी। जैन धर्म में विद्या की सोलह देवियों में इनका अहम स्थान है। जयपुर के विश्वविख्यात मूर्तिकार हरिशंकर शर्मा द्वारा बनायी गयी यह मूर्ति विश्व में इकलौती चर्तुभुज प्रतिमा है। पूर्व राज्यसभा सासंद जेके जैन ने इस प्रतिमा का लोकापर्ण किया था। तब यह कहते हुए इसका विरोध हुआ था कि देवी मां सरस्वती की मूर्ति के सिर पर जैन मुनि को दर्शाया गया है। और हाथ में कमंडल है। विवाद बढ़ा तब मूर्ति को ढक दिया गया था। अब एक बार फिर एबीवीपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रतिमा के माध्यम से मां सरस्वती की अलग पहचान बनायाी जा रही है। यह कतई बर्दाश्त नहीं है।

क्या कहते हैं जैन अनुयायी :- मूर्ति के पक्ष में जैन धर्म के अनुयायियों का कहना है कि-जैन आगमों व जैन साहित्यों में श्रुत का अर्थ श्रवण किया हुआ सम्यक ज्ञान बताया गया है। श्रुत को विद्या की सौलह देवियों में विशेष स्थान हासिल है। दुनिया में श्रुत देवी सरस्वती मां की चतुर्भुज प्रतिमा कहीं नहीं है। जैनी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पंचमी को जैन ज्ञानपंचमी या श्रुत पंचमी भी कहते हैं। उस दिन श्रुत देवी व शास्त्रों की विधिवत पूजा का विधान दिगंबरों में है तथा कार्तिक मास की शुक्ल पंचमी को श्रुत देवी की पूजा का विधान और जैन परंपरा में है। यह दुनिया में इकलौती चतुर्भुज श्रुत प्रतिमा है। मूर्ति हटाने की मांग पर जैन समाज ने मोर्चा खोल दिया। दगंबर जैन बाल सदन में जैन समाज की बैठक के बाद कहा गया कि मूर्ति हटाने की मांग करना जैन समाज के साथ श्रुति देवी का भी अपमान है। जैन समाज ने जुलुस निकालकर एबीवीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। डीके जैन, ज्वाइंट सेक्रेटरी दिगंबर जैन कालेज और उप्र अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सुरेश जैन रितुराज ने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।

एबीवीपी के विरोध की वजह :- वैष्णव परंपरा में सरस्वती मां की प्रतिमा के हाथ में वीणा होती है, जबकि श्रुत सरस्वती देवी मां के एक हाथ में कमंडल, दूसरे हाथ में वैजयंती माला, तीसरे हाथ में ताड़ पत्र की पांडुलिपि और चौथे हाथ में कमल है। सिर के ऊपर भगवान महावीर स्वामी जी विराजमान हैं। एबीवीपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि मूर्ति के सिर पर महावीर स्वामी या जैन मुनि जैसी आकृति से सरस्वती की परंपरागत प्रतिमा से ध्यान हटाने का प्रयास किया जा रहा है।
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India is now an imaginary democracy. pic.twitter.com/4WZJiJ9Xel
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 24, 2020
राहुल गांधी ने किया ट्विट :- कालेज में हुए हंगामे का वीडियो ट्विटर पर शेयर करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा है- 'लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है...'।
पुलिस ने पांच पर दर्ज किया मुकदमा :- मामले को गंभीरता से लेते हुए बागपत पुलिस ने 5 लोगों के विरूद्ध केस दर्ज कर लिया है। इनमें एबीवीपी के अक्षय कुमार, याचिका तोमर, अंकुर चौधरी, हैप्पी शर्मा सहित एक अन्य शामिल हैं। बागपत एसपी अभिषेक सिंह के अनुसार इन सभी पर आइपीसी की धारा 147, 504 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है।
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एबीवीपी ने मांगी माफी :- एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव, राहुल बाल्मिकी का इस मामले में कहना है कि एबीवीपी के कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने यह मामला उच्च पदाधिकारियों की जानकारी में लाए बिना अज्ञानता में उठाया। उन्होंने जैन समाज की भावनाएं आहत होने के लिए माफी मांगते हुए कहा है कि यह अज्ञानता है। उन्होंने स्वीकार किया है जिन कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ है वे सभी स्थानीय एबीवीपी कार्यकर्ता हैं।
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