scriptहजारों साल पुराने टीले की खुदाई में मिले राजा पृथ्वीराज कार्यकाल के दुर्लभ सिक्के, इतिहासकार हैरान | Rare coins found in the excavation of thousands of years old mound | Patrika News

हजारों साल पुराने टीले की खुदाई में मिले राजा पृथ्वीराज कार्यकाल के दुर्लभ सिक्के, इतिहासकार हैरान

locationबागपतPublished: Dec 02, 2021 12:14:23 pm

Submitted by:

Kamta Tripathi

मेरठ और उसके आसपास के इलाका पुरानी एतिहासिक चीजों से भरा हुआ है। यहां पर आज भी पुराने टीलों और नदियों के किनारे खुदाई से हजारों साल पुराने सम्राज्य के दुर्लभ समान मिलते रहते हैं। दिल्ली से सटे होने और हस्तिनापुर का इलाका होने के कारण ये इलाका हमेशा से इतिहासकारों के लिए रिचर्स का कारण रहा है। बागपत में हजारों साल पुराने टीले की खुदाई के दौरान दुर्लभ सिक्कों का मिलना भी इसी का हिस्सा है।

हजारों साल पुराने टीले की खुदाई में मिले राजा पृथ्वीराज कार्यकाल के दुर्लभ सिक्के, इतिहासकार हैरान

हजारों साल पुराने टीले की खुदाई में मिले राजा पृथ्वीराज कार्यकाल के दुर्लभ सिक्के, इतिहासकार हैरान

बागपत। जिले के काठा गांव स्थित हजारों साले पुराने प्राचीन टीले की खुदाई के दौरान दुर्लभ सिक्के (rare coins) मिले हैं। जानकारों के अनुसार ये दुर्लभ सिक्के पृथ्वीराज चौहान,राजा अनंगपाल तोमर,राजा चाहड़ा राजदेव,राजा मदनपाल के कार्यकाल के हैं। शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार डॉ0 अमित राय जैन को टीले में यह सिक्के मिले हैं। उन्होंने बताया कि सिक्के मिलने से यह पता चलता है इन शासकों का शासन पश्चिमी उप्र के बागपत तक था। बागपत उन दिनों मेरठ जिले का हिस्सा था।
कुषाण काल और उसके बाद की सभ्यताओं के मृदभांड मिले
इतिहासकार अमित राय जैन के अनुसार यह प्राचीन टीला हजारों वर्षों से मौजूद है और वह पहले भी इसका निरीक्षण कर चुके हैं। यहां से कुषाण काल व उसके बाद की सभ्यताओं के अवशेष मृदभांड (pottery) आदि मिलते रहे हैं। अब 16 सिक्कों के मिलने से यह माना जा रहा है कि यहां कोई बड़ी मानव बस्ती उस समय की रही होगी, जहां पर व्यापारिक लेन-देन में सिक्कों का प्रचलन था।
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चांदी व तांबा मिश्रित धातु के हैं सिक्के (Coins of silver and copper mixed metals)
डॉ. अमित राय जैन ने बताया कि यह दुर्लभ सिक्के (rare coins) चांदी व तांबे को मिलाकर बनाए गए हैं। चांदी अति दुर्लभ थी तो सिक्कों को बनाने में उसमें तांबे की मात्रा भी मिलाई जाती थी। यहां मिले सिक्कों में कुछ सिक्कों को रासायनिक विधि से साफ किया गया है, जिससे उन पर लिखे गए नाम साफ दिखाई दिए है।
डॉ. अमित राय जैन ने बताया कि इन 16 सिक्कों को जल्द ही डीएम राजकमल यादव को सौंपे जाएंगे। साथ ही एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ सर्किल शाखा को भेजेंगे। उन्होंने कहा कि प्राचीन टीला पर उत्खनन का कार्य किया जाना चाहिए, जिससे यहां पर छुपी दुर्लभ सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने लाया जा सके। टीले के भीतर कोई प्राचीन नगर या किला भी दबा हो सकता है।
इस बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ सर्किल शाखा के ब्रजसुनंदर गड़नायक ने बताया कि उन्हें इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। मीडिया के माध्यम से ही इसके बारे में पता चला है। उन्होंने बताया कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों को भेजकर उसके बारे में पता लगाया जाएगा।
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