इतिहासकार अमित राय जैन के अनुसार यह प्राचीन टीला हजारों वर्षों से मौजूद है और वह पहले भी इसका निरीक्षण कर चुके हैं। यहां से कुषाण काल व उसके बाद की सभ्यताओं के अवशेष मृदभांड (pottery) आदि मिलते रहे हैं। अब 16 सिक्कों के मिलने से यह माना जा रहा है कि यहां कोई बड़ी मानव बस्ती उस समय की रही होगी, जहां पर व्यापारिक लेन-देन में सिक्कों का प्रचलन था।
डॉ. अमित राय जैन ने बताया कि यह दुर्लभ सिक्के (rare coins) चांदी व तांबे को मिलाकर बनाए गए हैं। चांदी अति दुर्लभ थी तो सिक्कों को बनाने में उसमें तांबे की मात्रा भी मिलाई जाती थी। यहां मिले सिक्कों में कुछ सिक्कों को रासायनिक विधि से साफ किया गया है, जिससे उन पर लिखे गए नाम साफ दिखाई दिए है।
इस बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ सर्किल शाखा के ब्रजसुनंदर गड़नायक ने बताया कि उन्हें इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। मीडिया के माध्यम से ही इसके बारे में पता चला है। उन्होंने बताया कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों को भेजकर उसके बारे में पता लगाया जाएगा।