
इस दिव्यांग के जज़्बे को सलाम, दोनों पांव से विकलांग फिर भी इंग्लिश चैनल पार करने का जुनून
राजीव शर्मा
बहराइच. किसी ने सही कहा है, "मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, परों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है"
ये लाइनें तैराकी की राष्ट्रीय चैंपियनशिप प्रतियोगिता में 5 गोल्ड मेडल,1 कांस्य पदक व 1 रजत पदक हासिल कर चुके बलिया जिले के हालपुर गांव थाना बांसडीह के रहने वाले लक्ष्मी कुमार साहनी के ऊपर एकदम सटीक बैठती है। बता दें कि लक्ष्मी साहनी दोनों पांव से जन्मजात विकलांग हैं, लेकिन उनके हौसलों के आगे उनकी विकलांगता कोई मायने नहीं रखती। बनारस हिंदू विश्व विद्यालय (बीएचयू) से 2012 में बी. कॉम तक पढ़ाई कर चुके लक्ष्मी के बुलन्द हौसले को देख लोग अपने दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। इसमें जरा भी संदेह नहीं कि इस दिव्यांग युवक के रग-रग में समंदर से भी टक्कर लेने का बुलन्द हौसला है, जिसकी गवाही दोनों पांव से विकलांग 26 साल के लक्ष्मी साहनी के करतब साफ बयाँ कर रहें हैं।
यह है इनका लक्ष्य
बहराइच जिले में प्रति वर्ष आने वाली विकराल बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए घाघरा नदी से लगे इलाके के लोगों को गोताखोरी में निपुड़ बनाने के लिए ग्राम शाहनवाजपुर के ग्राम प्रधान अनिल कुमार निषाद के बुलावे पर बलिया से लक्ष्मी साहनी यहां आए हैं। वे यह दिव्यांग तैराक नदी से लगे आस-पास के गांव के तमाम गोताखोरों को बाढ़ में लोगों के बचाव की ट्रेनिंग दे रहे हैं। पत्रिका उत्तर प्रदेश से हुई खास बातचीत में लक्ष्मी साहनी ने बताया कि उनका टॉरगेट लंदन में बहने वाली 42 किलोमीटर चौड़ी नदी को पार कर रिकार्ड बनाने का सपना है।
तैरकर रिकार्ड बनाया है
लक्ष्मी साहनी के मुताबिक बनारस से बलिया के मध्य बहने वाली गंगा नदी में 78 किलोमीटर का सफर महज 17 घँटे 34 मिनट में तैरकर रिकार्ड बनाया है। तैराकी की स्पीड 1 मिनट में 50 मीटर आंका गया है।
अब विश्व रिकार्ड बनाने की तमन्ना
एवरेस्ट को फतह करने वाली एक पैर से दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा जहां अपनी काबिलयत का परिचय देते हुए देश का मान सम्मान बढ़ाने का काम कर चुकी हैं, कुछ इसी तरह एक बार फिर यूपी का एक दिव्यांग लाल इंग्लैंड में तेज धारा में बहने वाली नदी को पार कर इंग्लिश चैनल पार करने का विश्व रिकार्ड बनाने के लिए जी जान से बिना दोनों पाँव के अपने हाथों को अपना पाँव बनाकर इंलिश चैनल फतह करने के मिशन में जुटा हुआ है।
कई दिनों तक नदी में ऐसे पड़े रहते हैं जैसे...
महाराष्ट्र,चेन्नई, पश्चिम बंगाल और इलाहाबाद में हुई राष्ट्रीय स्तर की तैराकी प्रतियोगिता में 7 मेडल पाने वाला ये दिव्यांग पानी के अंदर मछली की तरह रहता है। लक्ष्मी साहनी का कहना है कि ये कला ईश्वरीय वरदान है। लक्ष्मी नदी के अंदर कई-कई दिनों तक ऐसे पड़े रहते हैं जैसे लोग बिस्तर पर सोते हैं। पानी ही इनका बेड, बिस्तर और बिछौना है। पानी के अंदर खाना खाना, पूजा करना, अखबार पढऩा और यहां तक की लोगों से मोबाइल पर बात करना भी ये बड़ी आसानी से पानी में पड़े पड़े करते रहते हैं, जिनके करतब को देख लोग दंग रह जाते हैं। वहीं इनके जुनून को देख तो यही कहना मुनासिब होगा की।
किसी लक्ष्य को पाने के लिए विकलांगता का राग अलापना महज एक कोरी मानसिकता है। अगर यकीं न हो तो इस तस्वीर को देख जवाब स्वयं मिल जाएगा।
Published on:
30 Jun 2018 02:06 pm
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