9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बहराइच में भेड़िये का आतंक, पांच दिन में तीन मासूमों की जान गई, इलाके में दहशत का माहौल

बहराइच के ग्रामीण इलाकों में भेड़िये का आतंक बढ़ता जा रहा है। पांच दिन में तीसरी मासूम की जान चली गई। गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया। लगातार हमलों से लोग दहशत में हैं। बच्चों को आंगन में छोड़ने से भी डर रहे हैं।

2 min read
Google source verification
Bahraich-news

सांकेतिक फोटो जेनरेट AI

बहराइच जिले के ग्रामीण इलाकों में भेड़िये का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले पांच दिनों के भीतर यह तीसरा मामला है। जब एक मासूम बच्ची भेड़िये का शिकार बन गई। इस घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत और मातम का माहौल है।

बुधवार दोपहर ग्राम पंचायत मंझारा तौकली के बाबा बंगला गांव में दो वर्षीय सोनी आंगन में खेल रही थी। तभी अचानक आए भेड़िये ने उसे जबड़े में दबोच लिया और गन्ने के खेत की ओर भाग निकला। बच्ची की चीख सुनकर पिता कुल्हाड़ी लेकर दौड़े और मां भी पीछे भागीं, लेकिन भेड़िया खेतों में ओझल हो गया। करीब डेढ़ घंटे की तलाश के बाद बच्ची घर से लगभग 400 मीटर दूर क्षत-विक्षत हालत में मिली। परिजन उसे फखरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

ग्रामीणों का गुस्सा, डीएफओ को घेरा

घटना की जानकारी मिलते ही डीएफओ राम सिंह यादव गांव पहुंचे। गुस्साए ग्रामीणों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया और जमकर विरोध किया। ग्रामीणों का आरोप था कि वन विभाग ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिसकी वजह से मासूमों की जान जा रही है। हालांकि स्थानीय लोगों के समझाने पर स्थिति काबू में आई और डीएफओ वहां से निकल सके।

लगातार बढ़ रही घटनाएं

20 सितंबर को भी भेड़िये ने एक बच्चे को उठा लिया था। 23 सितंबर को ग्रामीणों की तत्परता से एक मासूम को बचाया गया, लेकिन 24 सितंबर को फिर हमला हुआ। अब पांच दिन के भीतर तीसरी घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डीएफओ का कहना है कि भेड़िये की संख्या दो या अधिक हो सकती है। गन्ने के खेतों व नदी के किनारे के कारण उसे पकड़ना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। विभाग ने ड्रोन की मदद और जाल बिछाकर कार्रवाई तेज की है।

भय और असुरक्षा में जी रहे लोग

पिछले पंद्रह दिनों में तीन बच्चों की मौत और 17 लोग घायल हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अब बच्चों को आंगन में भी छोड़ना मुश्किल हो गया है। सोशल मीडिया पर भी लोग प्रशासन और वन विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जता रहे हैं।

एसडीएम ने आर्थिक मदद का दिया आश्वासन

एसडीएम कैसरगंज अखिलेश कुमार सिंह ने मृत बच्ची के परिवार से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की और आर्थिक मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने ग्रामीणों से सतर्क रहने और धैर्य बनाए रखने की अपील की।