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बालाघाट. समिति में 540 बोरी डीएपी के अलावा अन्य खाद भी भंडारित है। बावजूद इसके किसानों को खाद न देकर बैरंग लौटाया जा रहा है। मामला सेवा सहकारी समिति मर्यादित बालाघाट का सामने आया है। किसानों के अनुसार खरीफ की फसल समर्थन मूल्य में विक्रय करने के बाद उन्होंने रबी की तैयारियां शुरू कर दी है। खेत तैयार करने डीएपी खाद की आवश्यकता पड़ रही है। लेकिन उन्हें खाद उपलब्ध होने के बावजूद समितियों से नहीं दी जा रही है। किसान दो दिनों से सोसायटी पहुंचकर परेशान हो रहे हैं। लेकिन उन्हें खाद नहीं दी जा रही है।
किसानों ने डीएपी खाद की काला बाजारी की आशंका व्यक्त करते हुए तत्काल खाद का वितरण शुरू करने की मांग की है। किसानों का आरोप है कि आवश्यकता होने पर उन्हें खाद न देकर बाजार से महंगे दामों में खरीदने मजबूर किया जा रहा है।
चक्कर काट रहे किसान
जानकारी के अनुसार बालाघाट समिति में खैरी, गोंगलई, बगदरा, बालाघाट, बूढी, गायखुरी, नवेगांव, कोसमी सरेखा सहित कुल 10 ग्रामों के 1956 किसान पंजीकृत हैं। सोमवार को सेवा सहकारी समिति बालाघाट में डीएपी खाद लेने बगदरा से पहुंचे किसान श्रीराम लिल्हारे ने बताया कि सोसायटी में डीएपी सहित अन्य फर्टीलाइजर आने की जानकारी मिलने पर वे डीएपी खाद लेने पहुंचे हैं। उन्हें खाद न देकर आगामी दिनों से वितरण कार्य शुरू करने की जानकारी दी जा रही है। श्रीराम ने बताया कि उसके गांव से अन्य किसान भी पिछले दो दिनों से सोसायटी पहुंच रहे हैं। लेकिन खाद नहीं दी जा रही है।
इसलिए नहीं दी जा रही खाद
सेवा सहकारी समिति बालाघाट के प्रबंधक योगराम बारमाटे ने बताया कि 18 जनवरी को उनकी समिति को 540 बोरी यानि 27 टन 5 क्विंटल डीएपी खाद मुहैया कराई गई है, जो कि गोदाम में भंडारित कर रखी गई है। उनकी समिति में डीएपी के अलावा 23 बोरी यूरिया, 202013 और सुपर फास्पेट खाद भी मुहैया है। लेकिन जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या बालाघाट से उन्हें किसानों की आईडी जारी नहीं की गई है। इस कारण ही वे खाद का वितरण शुरू नहीं कर पा रहे हैं। बारमाटे ने बताया कि आईडी प्राप्त होने पर ही थंब मशीन के माध्यम से किसानों को खाद वितरित की जा रही है। आईडी में किसान से संबंधित डाटा फीट होता है।
डिमांड के अनुरूप नहीं आवंटन
प्रबंधक बारमाटे के अनुसार वर्तमान में पहुंची खाद भी डिमांड के अनुरूप बहुत कम है। उन्होंने आठ दिन पूर्व करीब 100 टन डीएपी की डिमांड भेजी थी। लेकिन 27 टन ही प्राप्त हुई है। जबकि रबी सीजन में करीब दो हजार टन डीएपी खाद की डिमांड किसानों की ओर से रहती है। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के सीईओ आरसी पटले के रबी सीजन में पिछले वर्ष 17 हजार मिट्रिक टन खाद का वितरण किया गया था। वर्तमान में 4349 मिट्रिक टन विभिन्न प्रकार के फर्टीलाइजर जिले में मुहैया कराए गए हैं। इनमें 1490 एमटी यूरिया, 194 एमटी डीएपी, 1800 ईएफपीओ व 700 व 95 एमटी सुपर व अन्य फर्टीलाइजर शामिल है।
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बाजार में महंगा बिक रहा डीएपी
कृषि कार्य से जुड़े जानकारों की माने तो डीएपी खाद किसानों की हमेंशा से ही पहली पसंद रही है। खेत में छिडक़ाव करने में आसानी और अच्छे परिणाम के कारण किसान अन्य फर्टीलाइजर के मुकाबले इसे ज्यादा उपयोग करते हैं। हमेंशा से ही बाजार में पहले से ही डीएपी मुहैया रहता है। संपन्न किसान तो बाजार से 17 से 18 सौ में डीएपी खाद ले लिया करते हैं। लेकिन गरीब व मध्यम वर्गीय किसान सोसायटियों से 0 प्रतिशत ब्याज में डीएपी लेने प्रयासरत रहता है। परिणाम डिमांड बढऩे से डीएपी की कालाबाजारी होने की आशंका बढ़ जाती है। समितियों से 1350 रुपए प्रति बोरी डीएपी किसानों को दिया जाता है।
वर्सन
18 जनवरी से सोसायटी के गोदाम में डीएपी रखी गई है। लेकिन हमें वितरित नहीं की जा रही है। दो दिनों से सोसायटी पहुंच रहे हैं। लेकिन डीएपी नहीं दी जा रही है।
श्रीराम लिल्हारे, किसान बगदरा
जिला सहकारी बैंक से किसानों की आईडी प्राप्त नहीं होने के कारण खाद का वितरण शुरू नहीं किया गया है। आईडी मिलने पर वितरण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
योगराज बारमाटे, प्रबंधक बालाघाट समिति
हमारी ओर से किसी भी समिति को खाद वितरण करने से नहीं रोका गया है। किसानों को खाद वितरण की एक पूरी प्रक्रिया होती है। हालाहि आपके माध्यम से मामले को संज्ञान लेने पर हमने समस्या को दूर करने निर्देशित किया है।
आरसी पटले, सीईओ जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक