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शहरवासियों का सपना साकार, 180 कि.मी सफर तय कर वापस आया 100 साल पुरानी ‘छुक-छुक ट्रेन’ का इंजन

नागपुर के मोतीबाग से लगभग 180 किलोमीटर के सड़क मार्ग का सफर तय करते हुए जिले की 100 साल पुरानी नैरोगेज ट्रेन का इंजन बालाघाट पहुंच गया है।

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शहरवासियों का सपना साकार, 180 कि.मी सफर तय कर वापस आया 100 साल पुरानी 'छुक-छुक ट्रेन' का इंजन

मध्य प्रदेश के बालाघाट वासियों द्वारा बीते करीब 6 साल से किए जा रहे इंतजार के बाद आखिरकार नागपुर के मोतीबाग से लगभग 180 किलोमीटर के सड़क मार्ग का सफर तय करते हुए जिले की 100 साल पुरानी नैरोगेज ट्रेन का इंजन बालाघाट पहुंच गया है। यहां ये इंजन पुरातत्व शोध संग्रहालय में पहुंच चुका है। यही नहीं यहां सालों से खड़ी इस इंजन की बोगी से भी इंजीनियरों द्वारा इसे जोड़ दिया गया है। साथ ही पुरातत्व प्रेमियों और जिलेवासियों का धरोहर जक्शन का सपना पूरा हो गया है।

पुरातत्व प्रेमियों के 6 साल पहले से किए जा रहे प्रयास आज सफल हो गया है। बता दें कि बालाघाट जिले में नैरोगेज ट्रेन का काफी पुराना इतिहास रहा है। गोंदिया, बालाघाट से जबलपुर के लिए जिलेवासी इसी ट्रेन में सवार होकर यात्रा किया करते थे। कम स्पीड में चलने के कारण इस नेरोगेज ट्रेन को जिलेवासी छुक-छुक ट्रेन के नाम से जाना करते थे।

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बालाघाट पहुंचा छुक-छुक इंजन, वीडियो

इस संबंध में बालाघाट कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा ने पुरातत्व प्रेमियों और जिलेवासियों की उपस्थिति में पूजा अर्चना कर इतिहास पुरातत्व शोध संस्थान के समीप पहले से प्लेटफार्म पर स्थापित किया। फिर पुरानी त्नीक के अनुरूप ही यहां खड़ी बोगी से इंजन को जोड़ दिया गया है।

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