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ईमान बन चुका है बाजारी साथियों, बेइमानों से वतन बचाकर रखना

कवि सम्मेलन में रात 3.30 बजे तक डटे रहे श्रोता

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कवि सम्मेलन में रात 3.30 बजे तक डटे रहे श्रोता

कवि सम्मेलन में रात 3.30 बजे तक डटे रहे श्रोता

क्षेत्र के प्रसिद्ध गोस्वामी देवस्थान मेला उत्सव समिति टेकाड़ीघाट-सुकड़ीघाट के तत्वाधान में अखिल भारतीय हास्य व्यंग कवि सम्मेलन में कवियों ने सारी रात अलग अलग विधाओं और रसों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। मेले के पांचवें दिन हुए कवि सम्मेलन में जिप सदस्य प्रकाश उके मुख्य अतिथि और गुनीराम बघेले, दीपक देशमुख व अन्य विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुए। अतिथियों का सत्कार किया गया।

सर्वप्रथम मां सरस्वती की वंदना सरिता सरोज की सुमधुर वाणी में प्रस्तुत की। भरवेली के कवि चंद्रेश तूफानी की कविताओं से मंच की शुरुआत हुई। क्षेत्र के युवा कवि के मुक्तक पतझड़ से गुलशन बचाकर रखना, कांटों से कदम बचाकर रखना। ईमान बन चुका है बाजारी साथियों, बेइमानों से वतन बचाकर रखना, पर खूब वाहवाही मिली। छिंदवाड़ा के कवि भुवन सिंह धांसू ने छंदों के माध्यम से खुब हंसाया। मंच संयोजक और हास्य कवि शैलेश इनायत की हास्य व्यंग्य कविता और शायरी तल्ख हो रही है हवा तेरे शहर से डर लगता है, तेरे महल से अच्छा तो मेरे गांव का घर लगता है पर खूब तालियां बटोरी। वारासिवनी के हास्य कवि अंतू झकास ने निराले अंदाज पर श्रोताओं ने जमकर ठहाके लगाएं।

प्रयागराज उप्र के कवि सुजीत जयसवाल ने मां पर कविता पाठ कर सदन को भावविभोर किया। नागपुर की कवयित्री सरिता सरोज ने श्रृंगार की कविताओं का तरन्नुम में काव्यपाठ अपार स्नेह श्रोताओं का पाया। सिवनी के हास्य कवि की तिरंगा कविता भारत माता के जयघोष लगे। अंत में शानदार संचालन करते दिनेश देहाती ने फटा हो आंचल और तन में शक्ति नहीं। औलाद के बोझ से मां कभी थकती नहीं। जैसी शिक्षाप्रद और हास्य के साथ सामाजिक संदेश की कविताएं प्रस्तुत की। सभी कवियों का आभार समिति ने व्यक्त किया। कड़ाके की ठंड में भी श्रोता कवि सम्मेलन का लुत्फ उठाते देखे गए।