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दूसरे गोत्र में शादी करना बनी मुसीबत, समाज के ठेकेदारों ने 13 परिवारों का हुक्का-पानी बंद कर किया बहिष्कृत

locationबालाघाटPublished: Mar 25, 2023 02:46:34 pm

Submitted by:

Faiz

आदिवासी बहुल गढी में मरार समाज के हुक्मरानों ने 13 करीब लगभग 56 लोगों को समाज से बहिष्कृत कर उनका समाज में हुक्का पानी भी बंद कर दिया है।

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दूसरे गोत्र में शादी करना बनी मुसीबत, समाज के ठेकेदारों ने 13 परिवारों का हुक्का-पानी बंद कर किया बहिष्कृत

भारत एक रीति रिवाज को मानने वाला देश है। कुछ रीतियां लोगों को जोड़ने का कार्य करती हैं तो कुछ कुरीतियां ऐसी भी हैं जो लोगों के साथ साथ समाज को तोड़ने का काम करती हैं। आज के इस आधुनिक युग में सामाजिक बहिष्कार जैसी कुरीतियां भी अबतक भारत में जीवित हैं। सामाजिक बहिष्कार का ताजा मामला मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से सामने आया है। यहां जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल गढी में मरार समाज के हुक्मरानों ने 13 करीब लगभग 56 लोगों को समाज से बहिष्कृत कर उनका समाज में हुक्का पानी भी बंद कर दिया है। अब पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगाते हुए जिला प्रशासन के पास पहुंचे हैं।

बताया जा रहा है कि, मामला एक बेटी के समाज के ही अन्य वर्ग के लड़के के साथ शादी होने से जुड़ा है। जहां उनके शादी के बाद कार्यक्रम में शामिल 13 परिवार के 56 सदस्यों को समाज से बहिस्कृत कर दिया गया है। पीड़ितों का कहना है कि, जो सदस्य शादी में शामिल हुए थे, उन पर भी 150 रुपए का जुर्माना लगाया गया है। सभी पीड़ित सदस्य मरार समुदाय के हैं, जो बहिष्कृत किये जाने के बाद बालाघाट जिला मुख्यालय पहुंचे और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई।

 

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अबतक सामने नहीं आई शिकायत

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बृहिष्कृत परिवारों का कहना है कि, 4 जनवरी को गढ़ी में रहने वाले महेश शांडिल्य की 28 वर्षीय पुत्री सुमंगला मरार समाज के अन्य वर्ग भौरया मरार के साथ रिश्ता तय हुआ और 23 फरवरी को दोनों की शादी हुई। जिसमें समाज के कुछ लोग उपस्थित हुए थे, जिन्हें द्वेष भावना से समाज के कुछ हुक्मरानों ने समाज से बहिष्कृत कर दिया। ऐसी स्थिति में ना तो उनसे कोई मिलने आता और ना ही उन्हें समाज के लोग किसी कार्यक्रम में बुलाते। वहीं, अब इस मामले में अपर कलेक्टर शिव गोविंद मरकाम का कहना है कि, अभी उनके पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। उन्हें मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि, ये सामाजिक स्तर का मामला है। इसे अपने स्तर पर दूर करना चाहिए। प्रशासनिक स्तर पर हम भी जागरूकता अभियान चलाकर इसे खत्म करने की पहल करेंगे।

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