28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

धान में लग रही है लाई बीमारी

खंड वर्षा से बर्बाद हो रही हल्के प्रजाति की फसल, फसल में लग रही बीमारी, परेशान हो रहे किसान, धान फसल में पौध संरक्षण के लिए किसानों को दी जा रही है सलाह

2 min read
Google source verification
धान में लग रही है लाई बीमारी

धान में लग रही है लाई बीमारी

बालाघाट. बेमौसम बारिश और खंड वर्षा अब किसानों के लिए नई परेशानी खड़ी कर रही है। दरअसल, इस बारिश से हल्के प्रजाति की धान में बीमारी लग रही है जिससे धान की गुणवत्ता खराब हो रही है। एक तो समय पर बारिश नहीं, किसानों ने जैसे-तैसे अपनी बीज बोनी और धान रोपाई का कार्य किया। वहीं अब जब फसल काटने की बारी आ रही है तो मौसम की बेरुखी किसानों को रुला रही है।
जानकारी के अनुसार वर्तमान समय मेें किसानों के खेतों में हल्की प्रजाति की धान कटने के लिए तैयार या करीब है। परन्तु इस समय हो रही बारिश व उमस के कारण मध्यम से लेट किस्मों में भूरा माहो, तनाछेदक, पेनिकल माइट कीट के साथ नेक ब्लास्ट, लाई फूटना पेनिकल ब्लाइट, तना गलन जैसी बीमारियों का खतरा बढऩे लगा है। जिसके कारण किसान काफी चिंतित हैं। वर्तमान में हो रही उमस भूरा माहो, कीट व अन्य कीट बीमारियों के लिए अनुकूल परिस्थिति का निर्माण कर रही है। फसल का बेहतर उत्पादन नहीं होने से किसानों पर दोहरा आर्थिक बोझ होने की संभावना है।
इन दवाओं का करें छिड़काव
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बीमारियों की रोकथाम के लिए समान्यत: किसान अपने स्वयं निर्मित देशी काढ़ा जो कि गौमूत्र, नीम, जंगली तुलसी, गराड़ी, सीताफल, बेल सहित अन्य की पत्ति से निर्मित काढ़ा का समय-समय में छिड़काव करें। जैविक दवाईयों में नीम का तेल, बेविरिया बैसियाना, बीटी का उपपयोग कीड़ों के नियंत्रण के लिए करें। स्यूडोमोनास फ्लोरोसेन्स का धान की बीमारियों के नियंत्रण के लिए उपयोग करें। कीट बीमारियों का आक्रमण होने के उपरान्त आवश्यक होने पर रसायनिक दवाईयों का उपयोग विशेषज्ञ के सलाह के आधार पर करे।
किसानों को खेतों का सतत निरीक्षण करने की सलाह
कृषि वैज्ञानिकों ने जिले के किसानों को ऐसी स्थिति में सलाह दी है कि वे अपने खेतों का सतत निरीक्षण करें। पड़ोस के खेत में उपरोक्त कीट-बीमारियों के लक्षण या अपने खेत मेें इनमें से किसी कीट या बीमारी के शुरूवाती लक्षण दिखाई देने पर अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी, कृषि विज्ञान केन्द्र बडग़ांव या कृषि महाविद्यालय मुरझड़ फार्म के कृषि वैज्ञानिकों से सलाह कर दवा का छिड़काव करें। दवा का छिड़काव करने वाले व्यक्ति को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की वह भूखा न हो। नाक व मुंह में मास्क या कपड़ा बांधे, हवा की दिशा में सुबह व शाम के समय छिड़काव करें। साथ ही साथ दवा दुकान से दवाई का पक्का बिल प्राप्त करें।