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धान की फसल को लग रहा है पोंगा

कृषि वैज्ञानिकों ने दी बचाव की सलाह

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धान की फसल को लग रहा है पोंगा

धान की फसल को लग रहा है पोंगा

बालाघाट. जिले में लगातार हो रही बारिश से अब किसानों द्वारा रोपे गए धान की फसल को नुकसान होने लगा है। दरअसल, खेतों में पानी भरा होने से धान की फसल में गंगई कीट (पोंगा) लगने लगा है। जिसके कारण किसानों को काफी नुकसान होने की संभावना है। जिन किसानों के खेतों में पोंगा लग रहा है वे अब बारिश खुलने और अच्छी धूप के निकलने का इंतजार कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि धान में लगातार पानी होने की वजह से अब धान की फसलों में रोग लगना प्रारंभ हो गया है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो किसानों को बहुत नुकसान हो सकता है। वहीं गंगई कीट पर नियंत्रण के लिए राणा हनुमान सिंह कृषि विज्ञान केन्द्र बडग़ांव के वैज्ञानिकों द्वारा जिले के किसानों को सलाह दी गई है।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि जिले में धान की फसल में पोंगा का प्रकोप बढ़ते ही जा रहा है। इसके नियंत्रण के लिए धान के खेत में नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की मध्यम मात्रा प्रयोग न करते हुए इसकी मात्रा को तीन हिस्सों में बांट कर समय-समय पर प्रयोग करें। 5-7 दिनों तक खेत का पानी निकाल दें। गंगई का वयस्क कीट शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सक्रीय रहता हैं। इस समय रात में प्रकाश प्रपंच लगाकर वयस्क कीट का नियंत्रण किया जा सकता है। नीम की पत्ती का काढ़ा 10 प्रतिशत या नीम की नोम्बोली का काढ़ा 5 प्रतिशत या नीम का तेल 5 प्रतिशत का छिड़काव करें। प्रभावित फसल अवशेषों को जमा कर नष्ट करें। खेत को खरपतवार से मुक्त करें। अत्यधिक प्रकोप होने पर रासायनिक दवाईयों में कार्बोसल्फ्युरॉन 25 प्रतिशत इसी 350-400 मिली या इथोफेनप्राक्स 10 प्रतिशत इसी 200-300 मिली या फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एससी 400-500 मिली या लेम्डासायहेलोथ्रीन 5 प्रतिशत इसी 100-150 मिली या थायोमेथाक्जाम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करें।