
आदेश की नाफरमानी-संलग्नीकरण में ली जा रही है सेवाएं
स्वास्थ्य विभाग में कलेक्टर के आदेश की नाफरमानी हो रही है। डॉक्टरों और कर्मचारियों के संलग्नीकरण को समाप्त नहीं किया गया है। आज भी अनेक डॉक्टर और उनके अधीनस्थ अमले की पदस्थापना किसी और संस्थान में है और वे सेवाएं किसी और जगह पर दे रहे हैं। कर्मचारियों के संलग्नीकरण का मुद्दा विधानसभा में भी उठा था।
बालाघाट. स्वास्थ्य विभाग में कलेक्टर के आदेश की नाफरमानी हो रही है। डॉक्टरों और कर्मचारियों के संलग्नीकरण को समाप्त नहीं किया गया है। आज भी अनेक डॉक्टर और उनके अधीनस्थ अमले की पदस्थापना किसी और संस्थान में है और वे सेवाएं किसी और जगह पर दे रहे हैं। कर्मचारियों के संलग्नीकरण का मुद्दा विधानसभा में भी उठा था। कलेक्टर ने भी विभाग में संलग्नीकरण समाप्त करने के आदेश जारी किए थे। बावजूद इसके अभी तक संलग्नीकरण समाप्त नहीं हुआ है।
जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग में ऐसे अनेक डॉक्टर, स्टाफ नर्स और अन्य विभागीय कर्मचारी हैं, जिनकी मूल पदस्थापना किसी अन्य संस्थान में है और वे सेवाएं अपनी मनपसंद के संस्थान में दे रहे हैं। जबकि संलग्नीकरण समाप्त किए जाने का मुद्दा विधानसभा में भी उठा था। इसके बाद कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा ने स्वास्थ्य विभाग में संलग्नीकरण समाप्त कर सभी कर्मचारियों को उनके मूल स्थान में पदस्थ किए जाने के आदेश जारी किए थे। लेकिन इस आदेश का अभी तक पालन नहीं हो रहा है।
संलग्नीकरण समाप्त करने के लिए मार्च माह में आदेश जारी किया गया था। कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा के जारी आदेश में उल्लेख किया गया था कि स्वास्थ्य सेवाओं में चिकित्सकों व कर्मचारियों के मूल पदस्थापना स्थान से अन्य कार्य संपादित किए जाने के लिए पूर्व में जारी किए गए सभी आदेशों को निरस्त कर दिया गया है। संबंधित चिकित्सक व कर्मचारियों को उनके मूल पदस्थापना स्थल पर उपस्थिति देकर अपने पदीय कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए आदेशित किया गया था। लेकिन इस आदेश स्वास्थ्य विभाग में पालन नहीं हो रहा है।
विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद कलेक्टर के जारी आदेश का सीएमएचओ पालन नहीं करवा पा रहे हैं। आलम यह है कि जो पूर्व में जहां संलग्न थे, उनकी सेवाएं वहीं ली जा रही है। विडम्बना यह है कि संबंधित चिकित्सकों और कर्मचारियों का वेतन उनकी मूल पदस्थापना स्थल से ही निकल रहा है। लेकिन उनकी सेवाएं वहां नहीं ली जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर और विभागीय अमला जिन्हें संलग्न किया गया है, वे अपनी पसंद या पहुंच के बल पर संबंधित संस्थान में नौकरी कर रहे हैं। ऐसी स्थिति पूरे बालाघाट जिले में बनी हुई है।
जानकारी के अनुसार अकरम मंसूरी संगणक इनकी पदस्थापना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामपायली में है। लेकिन उन्हें कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बालाघाट में संलग्न किया गया है। इसी तरह डॉ ऋत्विक पटेल चिकित्सा अधिकारी की मूल पदस्थापना स्वास्थ्य केंद्र लालबर्रा में है। लेकिन उन्हें कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बालाघाट, जिला चिकित्सालय बालाघाट में संलग्न किया गया है। डॉ अनंत लिल्हारे चिकित्सा अधिकारी जिला चिकित्सालय में पदस्थ है। लेकिन उनकी सेवाएं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बैहर में ली जा रही है। कलम पटले सहायक ग्रेड-2 की पदस्थापना ट्रेनिंग सेंटर बालाघाट में है। इन्हें कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बालाघाट में संलग्न किया गया है। डॉ सुनील सिंह चिकित्सा अधिकारी की पदस्थापना पीएचसी दमोह में है। उन्हें सीएचसी बिरसा, सिविल अस्पताल बैहर में संलग्न किया गया है। इसी तरह अरुणा रणदिवे बीसीएम की पदस्थापना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लामता में है। लेकिन उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र किरनापुर, स्टाफ नर्स रीना की पदस्थापना पीएचसी भानेगांव में है लेकिन उन्हें रजेगांव में संलग्न किया गया है। इसी तरह डॉ थेलेश गोपाले चिकित्सा अधिकारी को हट्टा से लामता, डॉ. निमिष गौतम चिकित्सा अधिकारी को दमोह से बिरसा, डॉ. नरेश मारन चिकित्सा अधिकारी को मोहगांव से बिरसा स्वास्थ्य केन्द्र में संलग्न किया गया है।
इनका कहना है
डॉक्टरों की सेवाएं आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग केंद्रों में ली जा रही है। ताकि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सकें। इनके अलावा अन्य कर्मचारियों के संलग्नीकरण की जानकारी ली जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा, कलेक्टर, बालाघाट
स्वास्थ्य विभाग में संलग्नीकरण का मामला विधानसभा में उठा था। सीएमएचओ ने संलग्नीकरण समाप्त कर दिए जाने की जानकारी दी थी। यदि संलग्नीकरण समाप्त नहीं हुआ था तो इसकी जानकारी ली जाएगी।
-मधु भगत, विधायक, परसवाड़ा
Published on:
08 May 2024 09:47 pm
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