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बेटे के इंतजार में निकला मां का दम- मौत के दूसरे दिन भी नहीं आया बेटा

जिस मां ने अपने जीते जी बेटे को कोई तकलीफ नहीं होने दी, उसी मां का शव मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए तरस रहा है।

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बालाघाट. जो मां अपने बच्चे को जन्म देने के लिए 9 माह तक कोख में रखती है। उसके पैदा होने पर अपना सुख चैन भूलकर उसकी परवरिश करती है, अगर उसी मां की मौत पर अगर उसका बेटा नहीं आए, तो इससे बड़ी कोई अमानवीय घटना नहीं होगी। ऐसा ही मामला बालाघाट जिले से सामने आया है। जिस मां ने अपने जीते जी बेटे को कोई तकलीफ नहीं होने दी, उसी मां का शव मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए तरस रहा है।

उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया

दरअसल गीता पति रंजन मनकेले (70) निवासी वार्ड क्रमांक 10 बैहर, बेटा बहू होने के बाद भी बस स्टैंड पर निवास करती है। वह पिछले 3 माह से बीमार थी, लेकिन कोई उनकी सुध लेने नहीं आया, ऐसे में वृद्धा की अवस्था को देखकर ग्रामीणों ने ही बैहर सिविल अस्पताल में भर्ती कराया, यहां करीब एक माह तक उनका उपचार भी चला, लेकिन स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया, ऐसे में सोमवार को उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया, इसके बाद पुलिस चौकी ने महिला के शव का पीएम भी करवा दिया, मर्ग कायम कर डायरी भी संंबंधित थाना को भेज दी गई, लेकिन इतने समय बाद तक कोई परिजन अंतिम संस्कार के लिए सामने नहीं आया।

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रिश्तेदार ने भी अंतिम संस्कार से किया इंकार


पुलिस ने बड़ी मुश्किल से महिला के एक रिश्तेदार को खोज निकाला, लेकिन उसने भी अंतिम संस्कार से इंकार कर दिया। जानकारी यह भी निकलकर आई की वृद्धा के एक बेटा-बहू भी है, लेकिन उनका भी कोई पता नहीं चल सका, आश्चर्य की बात तो यह है कि मां इतने लंबे समय से बीमार थी, बस स्टैंड पर रहती थी, इसके बाद एक माह तक अस्पताल में उपचार भी चला, लेकिन ऐसा क्या कलयुगी बेटा था, जिसे एक दिन भी मां की याद नहीं आई। इस वृद्धा के जब तक हाथ पैर चलते थे, तब तक तो लोगों ने अपनापन दिखाया, लेकिन जब वह बेबस हो गई, तो उसे दुत्कार दिया, वह लंबे समय से खानाबदोश जिदंगी जी रही थी। खबर लिखे जाने तक वृद्धा का शव जिला चिकित्सालय में रखा हुआ था।