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पांच जिले के आदिवासियों ने शहर में डाला डेरा, जनसुनवाई में लिया भाग

विभिन्न मांगों को लेकर नारेबाजी कर, निकाली रैली, दिया धरना

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विभिन्न मांगों को लेकर नारेबाजी कर, निकाली रैली, दिया धरना

विभिन्न मांगों को लेकर नारेबाजी कर, निकाली रैली, दिया धरना

जल जंगल जमीन और अन्य प्रशासनिक मुद्दों को लेकर जन संघर्ष मोर्चा महाकौशल के बेनर तले शहर के अंबेडकर चौक में दो दिवसीय घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन का आयोजन किया गया है। पहले दिन बुधवार को बालाघाट, सिवनी, मंडला, डिंडोरी और जबलपुर जिले से करीब डेढ से दो हजार आदिवासी ग्रामीणों ने बालाघाट मुख्यालय में डेरा डालकर आयोजित विशाल जनसुनवाई में भाग लिया। उन्होंने कार्यक्रम के पूर्व उत्कृष्ट विद्यालय मैदान से शहर भ्रमण के लिए एक आक्रोश रैली निकाली। इस रैली में शामिल आदिवासियों ने पारंपरिक ढोल बजाकर, आदिवासी नृत्य पेश किया। वहीं हाथों में मांगों की तख्ती लेकर उन्होंने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी भी की। यह रैली उत्कृष्ट विद्यालय मैदान से हनुमान चौक वहां से मेन रोड होते हुए सीधे यह रैली काली पुतली चौक पहुंची। भारत माता की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। जहां से यह रैली पीजी कॉलेज होते हुए सीधे अंबेडकर चौक पहुंची। बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद विशाल जनसुनवाई का आयोजन किया गया।

जनसुनवाई में बालाघाट, सिवनी, मंडला, डिंडोरी और जबलपुर से पहुंचे आदिवासी भाइयों बहनों ने क्षेत्र के लघु, गौण खनिज संपदा, जल, जंगल जमीन आदि विषयों पर अपने विचार रखें। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों पर आदिवासियों को परेशान किए जाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा विभिन्न जिलों से आए पदाधिकारी ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याएं पदाधिकारी के समक्ष रखी।

इन मांगों को लेकर भरी हुंकार

वन अधिकार कानून 2006 के अंतर्गत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधनों पर समुदाय के अधिकारों को सुनिश्चित करने, वन भूमि पर काबिज दावेदारों के दावा परिक्षण निष्पक्ष रूप से किया जाकर बेदखली को रोका जाने, आदेश के क्रियान्वय में वन विभाग के एकतरफा हस्तक्षेप को रोका जाने, बैहर, बिरसा विकास खंड के 55 वन खंडों को रिजर्व फारेस्ट घोषित करने में 40 गांव प्रभावित होकर 36833.672 हेक्टेयर वन भूमि को रिजर्व फारेस्ट घोषित किया जा रहा है। जो कि आदिवासियों और वनों के अंत संबधों पर हमला है। इससे आदिवासियों सहित स्थानीय समुदाय के जीवन में अनेकों कठिनाईयां पैदा होगी। इन वनखंडों को डि नोटिफाई किया जाने, विस्थापन नीति रद्द करने, परसवाड़ा विख के लौगुर जंगल में 250 हेक्टर वन भूमि खनिज के लिए आबंटित किया जा रहा है। इस आदेश को निरस्त करने, कान्हा नेशनल पार्क के कोर क्षेत्र के छह गांवों मुक्की, पटवा, छतरपुर, कदला, धनियाझोर, जगलीखेडा को राजस्व ग्राम घोषित करने की कार्रवाई को वन विभाग ने रोक दिया है। इसमें हस्तक्षेप कर इसके बेहतर कियान्वयन की बाधा को दूर करने, विभिन्न परियोजनाओं बांध, नेशनल पार्क व टाइगर रिजर्व आदि से विस्थापित परिवारों की आर्थिक स्थिति का सर्वे कराकर पुनर्वास का लाभ देने, 25-30 वर्ष पूर्व कान्हा नेशनल पार्क के कोर क्षेत्र से विस्थापितों का व्यवस्थापन नहीं किया गया है और न ही कोई मुआवजा दिया गया है, उन्हें मुआवजा देकर उन परिवारों का पुनर्वास करने, बालाघाट में बैहर और परसवाड़ा तहसील के दूरस्थ ग्राम चालिसबोड़ी, कावेली क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की वजह से भूमि, आधार एवं अन्य दस्तावेजों की केवायसी नहीं हो पा रही है। यहां निवासरत बैगा, गोंड जनजाति के लोग विभिन्न योजनाओं से वंचित रहते है, उक्त समस्या अतिशीघ्र समाधान करने, जिला अस्पताल का निजीकरण रोकने, पलायन रोकने के लिए किसान के खेतों तक नर्मदा और अन्य नदियों से सिंचाई हेतु पानी देने, बीजाडांडी और नारायणगंज के काश्तकारों द्वारा बरगी जलाशय से पानी खेतों तक पहुंचाने की मांग को तत्काल पूर्ण करने, बरगी जलाशय में लगातार घटते मत्स्य उत्पादन का अध्ययन कराकर उत्पादन बढ़ाने का प्रयास करने, 15 जून से 15 अगस्त बंद ऋतु में पिछले दो साल का बचत सह राहत योजना का लंबित राशि का भूगतान करनेए बरगी जलाशय में प्रस्तावित फ्लोटिंग सोलर प्लांट योजना को तत्काल रद्द करने, नर्मदा के भूकंप संवेदन और कान्हा टाईगर रिजर्वे के पारिस्थिकीय संवेदनशील आदिवासी क्षेत्र में प्रस्तावित घातक चुटका परमाणु परियोजना को रद्द करने औऱ विकास परियोजनाओं के नाम पर आदिवासी क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण और विस्थापन बंद करनेए सहित अन्य मांगो को लेकर राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है।