
Migrant worker
बलिया. कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉक डाउन लगा तो गुजरात के सूरत में रहकर रोज़ी रोटी कमाने वाले बलिया और बिहार कुछ ज़िलों के प्रवासी कामगारों को भी मुश्किलों से दो चार होना पड़ा। अपनी नौकरियां गंवा चुके कामगारों को आर्थिक तंगी के चलते खाने के लाले पड़ गए। मकान मालिकों ने घर खाली करने का फरमान सुना दिया, जिसके बाद उनके पास घर वापस लौटने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। सवाल ये की लौटें कैसे। जब कहीं से मदद नहीं मिली तो हिम्मत कर किसी तरह से एक लाख 65 हज़ार रुपये जुटाए और किराये की बस लेकर 65 लोग बलिया पहुंचे। इनमें औरतें और बच्चे भी शामिल हैं। इनमें पांच महिलाओं व दो मासूमों के अलावा एक युवती व सात नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं। उनके पहुंचते ही प्रशासन ने सभी को बैरिया इंटर कालेज में बने क्वारंटीन सेंटर में पहुंचवा दिया। इनमें करीब 10 से 12 बिहार के सारण, गया व अरवल के कामगार भी शामिल हैं।
बैरिया पहुंचे कामगर सूरत के तारकेश्वर थाना के कीमचौकड़ी तरंज पुलिस चौकी क्षेत्र में किसी रोज़गार में लगे थे। पर लॉक डाउन लगने के बाद सबकी नौकरी चली गयी। आर्थिक तंगी से खाने-पीने के लाले पड़ गये और मकान खाली करने का भी दबाव पड़ने लगा। लौटे कामगरों के मुताबिक सम्बंधित थाना व पुलिस चौकी निवेदन के बाद भी कोई मदद नहीं मिली। पुलिस ने सिर्फ इतना एहसान किया कि उन्होंने तीन दिन की छूट के बारे में जानकारी दी और कहा कि अपने जाने की खुद व्यवस्था कर सकते हो तो करके चले जाओ।
किसी तरह से 65 लोगों ने आपस में चंदा जुटाकर एक लाख 85 हज़ार रुपये जुटाए और दो बसों का इंतज़ाम किया। उनके मुताबिक एक आदमी को बलिया आने के लिये 3725 रुपये भरने पड़े। उन्होंने बताया की उन लोगों ने रास्ते में कुछ खाने पीने को भी नहीं मिला। पुलिस ने पास जारी कर दिया था इसलिये रास्ते में किसी ने रोका नहीं।
रविवार की रात सभी के बैरिया पहुंचते ही स्थानीय प्रशासन अलर्ट हो गया और एसडीएम अशोक चौधरी व नायब तहसीलदार रजत सिंह ने सभी को क्वारंटीन करवाया, क्वारंटीन सेंटर में महिलाओं के रहने के लिए अलग कमरे की व्यवस्था की गयी।
एसडीएम ने बताया कि सभी के खाने के लिए तीन रसोईया व देखभाल के लिए नोडल अधिकारी के रूप में एडीओ पंचायत, कानूनगो और लेखपाल की तैनाती की गयी है।
Published on:
04 May 2020 03:10 pm
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