
Groundwater level बालोद जिले में लगातार भू जल स्तर नीचे जा रहा है। इसका प्रमुख कारण भू-जल का अधिक दोहन, गर्मी में मनाही के बाद भी धान की फसल लेना व अत्यधिक बोर खनन है। इस स्थिति को देखते हुए अब जिले के कई गांव के ग्रामीण जागरूक हुए हैं। अभी तक जिले के लगभग 50 गांव के किसानों ने संकल्प लिया है कि गर्मी के दिनों में धान की बजाय दलहन, तिलहन की फसल लेंगे। किसानों को जागरूक करने गांव-गांव में मुनादी भी कराई जा रही है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुर ब्लॉक को एक बार फिर रेड जोन में रखा गया है। जिला प्रशासन भी जिले में जल जतन अभियान चलाकर लोगों को जागरूक कर रहा है।
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जिला कृषि विभाग के मुताबिक गिरते भूजल स्तर को देखते हुए अब किसानों को जागरूक किया जा रहा है। गुरुर और बालोद ब्लॉक के सबसे अधिक किसानों ने गर्मी में धान की खेती नहीं करने का संकल्प लिया है।
जिला कृषि उपसंचालक जीएस ध्रुव ने बताया कि बालोद ब्लॉक के ग्राम पोंडी, लोंडी, बिरेतरा, जगन्नाथपुर, सांकरी सहित अन्य गांव के किसानों ने जागरुकता दिखाई है। गुरुर विकासखंड के नर्बदा, पलारी सर्बदा, अरकार सहित अन्य गांव शामिल है।
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जिले के कई किसान ऐसे हैं, जो सिर्फ अपने फायदे के लिए जानबूझकर गर्मी के दिनों में धान की खेती करते हैं। अपने फायदे के चक्कर में पूरे जिले में भू-जल स्तर घटने का असर दिखाई देने लगा है। कई गांव ऐसे हैं, जहां गर्मी के दिनों में पेयजल के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जिले में भू-जल की स्थिति गंभीर होने के कारण प्रशासन भी अलर्ट हो गया है। किसानों को जागरूक कर रहे हैं कि गर्मी में धान की फसल की जगह अन्य फसलों पर जोर दें। अब धान की फसल खेतों में लेने के लिए कृषि विभाग से अनुमति लेनी होगी। बिना अनुमति धान की फसल लेने पर कार्रवाई हो सकती है।
केंद्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में भू-जल की स्थिति सबसे गंभीर गुरुर ब्लॉक में है। यहां 91 प्रतिशत पानी का उपयोग फसलों की सिंचाई के लिए किया जाता है, जबकि महज 6 प्रतिशत पानी का उपयोग पीने के लिए किया जाता है।
वर्ष - भूजल स्तर की स्थिति मीटर में (औसत)
2017 - 19
2018 - 19.50
2019 - 19.50
2020 - 21
2021 - 21
2022 - 21.50
2023 - 25
2024 - 27
नोट : आंकड़े पीएचई विभाग से प्राप्त
उप संचालक, कृषि विभाग बालोद उप संचालक जीएस ध्रुव ने कहा कि जिले में भू-जल स्थिति लगातार नीचे जा रही है। किसानों को जल जतन अभियान के तहत जागरूक किया जा रहा है। गर्मी में धान की फसल न लें, क्योंकि धान की फसल में अधिक पानी लगता है। अभियान के बाद अभी तक लगभग 50 गांव के किसानों ने गर्मी में धान की फसल नहीं लेने का संकल्प लिया है। गांवों की संख्या आने वाले दिनों में और बढ़ेगी।
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Updated on:
08 Nov 2024 11:21 pm
Published on:
08 Nov 2024 11:20 pm
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