
Leprosy eradication : देशभर में कुष्ठ बीमारी को खत्म करने और लोगों को रोग के प्रति जागरूक करने योजनाओं के प्रचार-प्रसार में लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके बावजूद जिले में कुष्ठ के मरीजों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। इस साल जिले में 147 कुष्ठ के मरीज चिन्हांकित किए गए हैं। जिले में कुष्ठ के सबसे ज्यादा मरीज गुंडरदेही में 37 व डौंडी ब्लॉक में 36 मरीज पाए गए हैं। इन सभी मरीजों का इलाज जारी है। वहीं अब स्वास्थ्य विभाग 8 से 31 दिसंबर तक कुष्ठ रोगी खोजने का अभियान चला रहा है।
इस अभियान के लिए जिला कुष्ठ विभाग ने स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण व कुष्ठ की पहचान करने विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया है और कुष्ठ के रोगी ढूंढ रहे हैं। कुष्ठ की बढ़ती बीमारी को रोकने और इसे खत्म करने के लिए शासन हर साल जिले में कुष्ठ उन्मूलन पखवाड़ा अभियान चला रहा है।
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जिले में जिला प्रशासन के आदेशानुसार व मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेएल उइके के निर्देशन व जिला कुष्ठ नोडल अधिकारी डॉ. जीआर रावते के मार्गदर्शन में जिला स्तरीय 5 व 6 दिसंबर को कुष्ठ खोज जांच अभियान के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन कर जिले के सभी विकासखंड के ग्रामीण स्वास्थ्य कर्मियों को राज्य स्तर से आए प्रशिक्षण अधिकारी डॉ. प्रदीप कुंडू तथा सीआर साहा ने जिला स्तरीय प्रशिक्षण दिया।
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जिला नोडल अधिकारी डॉ. जीआर रावटे ने विस्तार पूर्वक कुष्ठ खोज जांच अभियान की गतिविधियों पर विस्तार पूर्वक चर्चा कर बताया कि कुष्ठ एक जीवाणु जनित रोग है। यह रोग सभी व्यक्तियों में नहीं होता। यह जीवाणु रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी वाले व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है।
उन्होंने बताया कि यह धीमी गति से फैलने वाली बीमारी है। इसके शुरुआती लक्षण में चमड़ी पर तेलिया तामीया बदरंगे दाग, शून्यपन या सामान्य शब्दों में कहें तो ऐसे दाग, जिसमें न खुजली होती है न ही पसीना आता है। दाग वाले हिस्से के बाल झड़ जाते हैं तथा दाग वाले हिस्से में सूनापन आ जाता है। ऐसे दाग कुष्ठ के स्पष्ट लक्षण होते हैं। इसके अतिरिक्त भौहों के बाल झड़ जाना, आंखों का बंद न होना, आंखों से पसीना आना, आंखें लाल हो जाना, शरीर में गांठें उभर जाना, कानों में दर्द भरी गांठें हो जाना, पैरों में बिना दर्द के अल्सर होना, पांव का झूल जाना व उंगलियों का मूड जाना, ये सब भी कुष्ठ के प्रमुख लक्षण हैं।
वर्तमान में जिले में कुष्ठ के समग्र उन्मूलन के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है ताकि जिले को कुष्ठ मुक्त बनाया जा सके। अभियान के दौरान जिले के स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कर्मचारियों, मितानिनों तथा मितानिन प्रशिक्षक जिले के समस्त ग्रामों में घर-घर जाकर कुष्ठ रोग के संभावित मरीजों की जांच कर रहे हैं। ताकि कुष्ठ के रोग को समय रहते पहचान कर उसका इलाज एमडीटी से किया जा सके। साथ ही विकृति से बचाव हो सके। क्योंकि एमडीटी दवाई की पहली खुराक से ही मरीज स्वस्थ होने लगता है। अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए जिले के सभी विभागों से आवश्यक सहयोग लिया जा रहा है। जिले के सभी नागरिकों से अपील है कि किसी भी प्रकार के लक्षण होने पर वे घर जांच के लिए पहुंचने वाली मितानिनों को अवश्य बताएं ताकि समय रहते इलाज किया जा सके।
कुष्ठ रोग एक असाधारण बीमारी है, जो माइक्रो बैक्टीरिया लैप्री नामक एक बैक्टीरिया से होती है। इस रोग की शुरूआत शरीर के कई हिस्से में दाग के रूप में होती है। बाद में दाग वाला स्थान शून्य हो जाता है और दाग धीरे-धीरे बढकऱ घाव का रूप ले लेता है। उपचार में विलंब होने से शरीर का हिस्सा गलने लगता है और शरीर में विकृति आने लगती है। इसकी पहचान होते ही एमडीटी की दो गोलियां देनी होती है, जिससे बैक्टीरिया का प्रभाव कम होने लगता है और फैल नहीं पाता।
ब्लॉक - पीबी - एमबी - कुल मरीज
बालोद - 1 - 9 - 10
गुंडरदेही - 3 - 34 - 37
डौंडीलोहारा - 4 - 32 - 36
गुरुर - 6 - 23 - 28
डौंडी - 0 - 36 - 36
जिला नोडल अधिकारी कुष्ठ विभाग डॉ. जीआर रावटे ने कहा कि कुष्ठ की हमारे यहां गंभीर स्थिति नहीं है। इसके लिए कुष्ठ पखवाड़ा आयोजित किया जाता है। साथ ही शिविर के माध्यम से लोगों को इसकी जानकारी देकर जांच की जाती है, जो इससे ग्रसित मिलते हैं उनका उपचार किया जाता है। इससे काफी हद तक सुधार हुआ है।
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Updated on:
13 Dec 2025 11:20 pm
Published on:
13 Dec 2025 11:19 pm
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