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राखियों में दिखा गांव का रंग! बालोद में धान और बांस से बनी राखी, अब तक 7 हजार बिक चुकी…

Raksha Bandhan 2025: बालोद जिले में जिला में बिहान महिला स्वसहायता समूह ने निरंतर विभिन्न गतिविधियों के बीच रक्षाबंधन पर फैंसी राखियों के साथ धान, सब्जी, बीज एव बांस आदि सामग्रियों से राखी तैयार की जा रही है।

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राखियों में दिखा गांव का रंग! बालोद में धान (photo-patrika)

राखियों में दिखा गांव का रंग! बालोद में धान (photo-patrika)

Raksha Bandhan 2025: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में जिला में बिहान महिला स्वसहायता समूह ने निरंतर विभिन्न गतिविधियों के बीच रक्षाबंधन पर फैंसी राखियों के साथ धान, सब्जी, बीज एव बांस आदि सामग्रियों से राखी तैयार की जा रही है। महिला स्वसहायता समूहों की राखियों की बिक्री स्थानीय हाट बाजार एवं शासकीय कार्यालय में सस्ते दामों में की जा रही है। जिले के 5 स्वसहायता समूह राखी बना रहे हैं।

Raksha Bandhan 2025: जिले के बाहर से भी आई मांग

जिले के बाहर से भी धान, सब्जी, बीज, बांस आदि से बनी इन आकर्षक राखियों की मांग आई है। जिलेवासी इसे बेहद पंसद कर रहे हैं। जय मां पहाड़ी स्वसहायता समूह की कुसुम सिन्हा बताती है कि बिहान से प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है। इसके बाद यह कार्य 3 वर्षों से कार्य कर रहे हैं। बाजार में इसकी अच्छी मांग है।

हाट बाजारों में सस्ते दाम पर बिक रही

उन्होंने बताया कि बीते साल 21 हजार नग राखियां 2.65 लाख रुपए बेचा गया। इस वर्ष भी अभी तक 8500 राखियां बना ली गई हैं। इसमें 7000 राखियां बेची जा चुकी हैं। 8 स्वसहायता समूह की 21 महिलाएं राखियों का निर्माण कर रही हैं। लगभग 10 हजार राखी बनाने का लक्ष्य है। इन समूहों को प्रशिक्षण एवं अन्य तकनीकी सहयोग प्रदाय किया जा रहा है। साथ ही कुछ बड़े व्यापारियों को सैम्पल भेज ऑर्डर भी प्रदाय कराया जा रहा है।

अब तक 8500 राखियां बनाई जा चुकी

राखियों को बालोद बंधन नाम दिया गया है, जिसे आकर्षक पैकिंग के साथ बेचा जा रहा है। जिले में कुसुमकसा, गुजरा, खुटेरी रंग एवं डढ़ारी में आकर्षक राखियां तैयार की गई। इन राखियों की कीमत बाजार में उपलब्ध अन्य फैंसी राखियों की तुलना में कम है, जिसे 10 रुपए, अधिकतम 35 रुपए की दर से बेचा जा रहा है। जो लोगों को लुभा रही हैं।