जानकारी अनुसार बालोद के जिला बनने के बाद से बालोद से दुर्ग तक मुख्य मार्ग पर ट्रैफिक का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। यह मार्ग आगे कांकेर जिला होते हुए बस्तर को जोड़ता है। इसलिए यह मार्ग राज्य शासन के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है।
इस मार्ग पर प्रतिदिन 50 से अधिक यात्री बसों का संचालन होता है। वहीं कार, टैक्सी, भारी वाहनों सहित लगभग इस मार्ग से प्रतिदिन हजार भर वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। दल्लीराजहरा की खदानों व तांदुला नदी से रेत परिवहन की वजह से इस मार्ग पर हमेशा ट्रैफिक का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं दुर्ग और भिलाई जो शिक्षा का बड़ा क्षेत्र व भिलाई इस्पात संयंत्र में प्रतिदिन ड्यूटी पर आने-जाने वालों की वजह से दो पहिया वाहनों को मिला दें तो उन्हीं की संख्या ही हजार से अधिक होगी, जिन्हें इसी उबड़-खाबड़ मार्ग से गुजरना होता है। इस मार्ग के अब 14 मीटर चौड़ी करने की योजना से लाखों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
बालोद दुर्ग मार्ग नेशनल हाइवे बनने के बाद सड़क दुर्घटनाएं कम होने की उम्मीद है। अभी इस मार्ग में तेज रफ्तार व लापरवाह वाहन चालकों के कारण आएदिन घटना होती रहती है। इस मार्ग पर झलमला, चरोटा, पारागांव, पड़कीभाट, उमरादाह, लाटाबोड़, टेकापार, नेवारीखुर्द, अरौद, सिकोसा, पैरी प्रमुख डेंजर जोन माने गए हैं। जहां आएदिन छोटे-बड़े हादसे होते रहते हैं। नेशनल हाईवे बनने के बाद सड़कें नए सिरे से मजबूत होगी। अभी इसकी चौड़ाई आठ से दस मीटर है। वह बढ़कर 14 मीटर हो जाएगी। पहले चरण में 150 करोड़ रुपए खर्च होने की जानकारी दी गई थी। हालांकि इस संबंध में अधिकारी व जनप्रतिनिधि कुछ कहना नहीं चाह रहे है। सड़़क की चौड़ाई बढऩे से आवागमन में सुविधा होगी। अभी सड़क संकरी होने के कारण वाहनों का दबाव बढ़ गया है। निर्माण के बाद यह समस्या दूर हो जाएगा। वाहन चालाकों को राहत मिलेगी।
वर्ष 2016 में ही बालोद दुर्ग मार्ग को केंद्र शासन ने नेशनल हाइवे घोषित कर दिया है। दुर्ग जिले के पुलगांव चौक से बालोद जिले के झलमला तिराहे तक इसका निर्माण होगा। बालोद जिले के दो विधानसभा क्षेत्र में दो अलग अलग स्वीकृति के साथ काम होगा। इसके पहले नेशनल हाईवे 930 के तहत पुरुर से मानपुर चौक तक घोषित हो चुका है।