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साक्षात्कार : लोरिक चंदा की धरोहर को संभालने आगे नहीं आ रही युवा पीढ़ी

गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम कचांदुर निवासी लोरिक चंदा (चंदेनी) कलाकार रामाधार साहू (63) अपने उम्र के अंतिम पड़ाव में है। उन्हें चिंता सताने लगी है कि छत्तीसगढ़ के इस प्रसिद्ध लोक गाथा को उनके बाद कौन संभालेगा। कहीं यह विलुप्त न हो जाए। रामाधार साहू आकाशवाणी दूरदर्शन कलाकार हैं।

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विलुप्त न हो जाए लोकगाथा: कलाकार रामाधार साहू चाहते हैं सरकार उठाए कदम

बालोद . गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम कचांदुर निवासी लोरिक चंदा (चंदेनी) कलाकार रामाधार साहू (63) अपने उम्र के अंतिम पड़ाव में है। उन्हें चिंता सताने लगी है कि छत्तीसगढ़ के इस प्रसिद्ध लोक गाथा को उनके बाद कौन संभालेगा। कहीं यह विलुप्त न हो जाए। रामाधार साहू आकाशवाणी दूरदर्शन कलाकार हैं। 40 वर्षों से लोरिक चंदा की प्रस्तुति दे रहे हैं। उन्हें सरकार व विभिन्न संगठन सम्मानित कर चुके हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार इस विधा व लोक गाथा को सिखाने कार्यशाला का आयोजन करे। कला व संस्कृति बचा रहे। आज के डिजिटल युग में लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं की उपेक्षा करने लगे हैं।

देशभर में 3 हजार से अधिक मंचों पर दी प्रस्तुति
उन्होंने बताया कि जब वे 22 साल के थे, तबसे साइकिल से गांव-गांव में जाकर लोरिक चंदा की प्रस्तुति दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ सहित देशभर में लगभग 3 हजार से अधिक मंचों पर इसकी प्रस्तुति दे चुके हैं। 2011 में पेरिस जाने का भी मौका मिला था। किसी कारणवश नहीं जा पाए। दिल्ली, कोलकाता, मद्रास, कुल्लू मनाली, राजस्थान, ओडिशा, मुंबई सहित अन्य राज्यों में प्रस्तुति दे चुके हैं। लोगों ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति व परंपरा को बचाने शासन-प्रशासन भी किसी योजना के तहत काम करे, तो नई पीढ़ी इस विधा को सीखने के लिए सामने आएगी।

संस्कृति को बचाए रखने कर रहे हैं संघर्ष
दिखावे के समय में लोग कुछ भी कहें, लेकिन जमीन से जुड़े हमारे बुजुर्ग कलाकार संस्कृति को बचाए रखने लगातार संघर्ष कर रहे हैं। कोई साथ दे या न दे। हर परिस्थितियों में दशकों से वे अपनी धुन में पारंपरिक गीत, नृत्य और वाद्ययंत्रों से छाप छोड़ रहे हैं।

प्रदेश में इस विधा को संजोए रखने दे रहे संदेश
रामाधार साहू ऐसे कलाकार हैं, जो लोरिक चंदा (चंदैनी) को अपने जीवनकाल तक संजोए रखने का संकल्प लिए हुए हैं और मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं। उनके बाद इस विधा को कौन संभालेगा, इस पर मौन हो जाते हैं, क्योंकि विधा को सीखने, संजोने तीन दशक बाद भी कोई सामने नहीं आया है।

प्रेम कथा है लोरिक चंदा
कलाकार रामाधार साहू ने बताया कि चंदैनी विधा लोरी व चंदा की एक प्रेम कथा है, जिसकी प्रस्तुति गीत, नृत्य और प्रहसन से मंच पर पेश की जाती है। इसमें पूरी तरह लोरी और चंदा की प्रेम कथा को प्रस्तुत किया जाता है। यह कहानी छत्तीसगढ़ के आरंग के पास ग्राम खौरी में सदियों पुराने लोरी-चंदा की प्रेम कथा है। इतिहास के अनुसार इसमें लोरी राउत जाति का था और चंदा महारानी थी। लोरी की बांसुरी की आवाज सुनकर चंदा मोहित हो जाती है। उसके बाद दोनों के बीच प्रेम की कहानी शुरू हो जाती है। बताया जाता है कि उसके बाद घरवाले चंदा का बाल विवाह करने वाले थे। उन्होंने बताया कि वे इस प्रेम कथा की प्रस्तुति से लोगों को बाल विवाह न करने जागरूक करते हैं।