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14 साल के इस लड़के ने ये ट्रिक अपनाकर खूंखार भालू से बचा ली अपनी जिंदगी

भालू ने जंगल में कर दिया था हमला, किताब में पढ़ी बातें थीं याद तो जीवन की मुश्किल घड़ी मेें दिया सूझ-बूझ का परिचय

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Injured boy in hospital

Injured boy

कुसमी. बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के करौंधा थाना क्षेत्र के ग्राम तुर्रीपानी में शनिवार की दोपहर मवेशी चराने जंगल की तरफ जा रहे एक किशोर पर भालू ने हमला कर दिया। इससे किशोर गंभीर रूप से जख्मी होकर जमीन पर गिर गया, इसी दौरान उसने अपनी जान बचाने सूझ-बूझ का परिचय देते हुए अपनी सांस रोक ली।

इस पर एक बार तो भालू उसे मृत समझकर जंगल की ओर जाने लगा, लेकिन कुछ ही दूर से फिर वापस लौट आया। भालू ने उसे सूंघा लेकिन किशोर ने शरीर में कोई हलचल नहीं होने दी। इस पर भालू उसे वहीं छोड़कर जंगल की ओर चला गया तब जाकर किशोर ने राहत की सांस ली और जख्मी हालत में ही किसी तरह घर पहुंचा। परिजन ने उसे कुसमी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां उसका उपचार जारी है।


बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के करौंधा थाना क्षेत्र के खजूरी पंचायत अंतर्गत आने वाले तुर्रीपानी पाठ निवासी 14 वर्षीय रविशंकर नगेशिया पिता बजू नगेशिया शनिवार की दोपहर मवेशियों को लेकर लकड़ा कोना जंगल की तरफ चराने जा रहा था। रास्ते में उसकी कुछ बकरियां पुटुस झाड़ की तरफ घुस गईं, जिन्हें वह बाहर निकाल रहा था।

इसी दौरान अचानक झाडिय़ों के पीछे से एक भालू उस पर टूट पड़ा। भालू के हमले से वह लहूलुहान होकर गिर पड़ा। इस दौरान किशोर ने सोचा कि अब भालू से जान बचाना मुश्किल है तभी उसने सूझ-बूझ से काम लेते हुए जमीन पर चुपचाप अपनी सांस रोक कर लेटा गया।

तब भालू उसे मृत समझकर छोड़ कर जंगल की तरफ जाने लगा लेकिन कुछ दूर जाने के बाद फिर से उसके समीप आया। भालू ने उसे सूंघा लेकिन किशोर ने शरीर में कोई हलचल नहीं होने दी तो भालू उसे मृत समझकर जंगल की ओर चला गया।

जब किशोर को अहसास हुआ कि अब भालू दूर जा चुका है तब वह हिम्मत करके उठा और जख्मी हालत में किसी प्रकार से अपने घर पहुंचकर परिजन को बताया। भालू के हमले से उसका सिर, कंधा सहित शरीर का अन्य हिस्सा जख्मी हो गया था।


संजीवनी नहीं मिली तो ऑटो से ले गए अस्पताल
किशोर के जख्म से लगातार रक्त का रिसाव हो रहा था किंतु यहां से उसे संजीवनी एम्बुलेंस के खराब होने के कारण इसकी सुविधा नहीं मिल पाई। तब परिजन उसे ऑटो से देर शाम को कुसमी अस्पताल में भर्ती कराया गया, यहां उसका उपचार चल रहा है। रविशंकर ने यदि समय रहते सूझ-बूझ का परिचय नहीं दिया होता तो उसकी जान भी जा सकती थी।