बलरामपुर. Chaturmas 2024: 17 जुलाई को विक्रम संवत के आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी है। इसके साथ ही चातुर्मास प्रारंभ हो गया है। चातुर्मास प्रारंभ होते ही सनातन धर्म के हिंदू संस्कार में गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार सहित अन्य 4 महीने के लिए बंद हो जाएंगे। वैवाहिक जैसे मांगलिक कार्य के लिए शहनाइयां बजना बंद हो जाएंगी। नगर के ज्योतिषी पंडित जितेंद्र तिवारी ने बताया कि चातुर्मास की समाप्ति इस वर्ष 12 नवंबर देव उठनी एकादशी दिन मंगलवार को हो रही है। इस बार 118 दिनों का चातुर्मास (Chaturmas) रहेगा। फिर देवउठनी एकादशी के तुरंत बाद ही 16 नवंबर से विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे और फिर से शहनाइयां बजनी चालू हो जाएगी।
पंडित जितेंद्र तिवारी ने बताया कि जिनकी शादियां चातुर्मास से पहले और चातुर्मास के कारण नहीं हो पाईं हों, वे वैवाहिक कार्य कर सकेंगे। सनातन धर्म के पौराणिक मान्यता अनुसार चातुर्मास में भगवान लक्ष्मी नारायण क्षीरसागर में विश्राम के लिए चले जाते हैं। इसे हम देवशयनी एकादशी के नाम से जानते हैं।
फिर 4 महीने की निद्रा के बाद भगवान जागते हैं जिसे हम देवउठनी एकादशी के नाम से जानते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विश्राम के लिए चले जाते हैं तो मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं होता है।
यदि इस दौरान पर कोई मांगलिक कार्य करता है तो वह अशुभ कारक हो जाता है इसलिए हिंदू संस्कार के विवाह, उपनयन, पाणिग्रहण जैसे मांगलिक कार्य नहीं होते हैं।
पंडित जितेंद्र तिवारी ने बताया कि देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर और दिसंबर दो माह में सामान्य और अति श्रेष्ठ मिलकर कुल 18 विवाह के मुहूर्त रहेंगे। इसमें नवंबर माह में 16, 17, 18, 22, 23, 24, 25, 26, 28 तारीख मिलाकर 9 शुभ मुहूर्त हैं। इसी तरह दिसंबर में 2, 4, 5, 9, 10, 11, 13, 14 व 15 तारीख मिलाकर कुल 9 शुभ मुहूर्त है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष नवंबर और दिसंबर में ज्यादा मुहूर्त है 15 दिसंबर के बाद पुन: खरमास प्रारंभ हो जा रहा है। खरमास प्रारंभ होने के बाद 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2025 तक एक माह के लिए फिर से विवाह आदि मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे।
Updated on:
18 Jul 2024 07:29 am
Published on:
17 Jul 2024 04:27 pm