
फोटो जेनरेट AI
पिछले कुछ वर्षों में सर्पदंश एक गंभीर आपदा के रूप में सामने आई है। इसके चलते सर्पदंश को प्रदेश सरकार द्वारा राज्य आपदा की श्रेणी में शामिल किया गया है। सर्पदंश से होने वाली जनहानि को रोकने के लिए प्राथमिक उपाय के रूप में लोगों को सर्पदंश से बचने के उपायों के प्रति जागरूक होना जरूरी है। बरसात के मौसम में सर्प अक्सर बाहर निकल आते है। इसलिए इनसे बचाव करना जरूरी है। सर्पदंश से बचाव व उसके लक्षण के विषय में जानकारी प्राप्त कर स्वयं बचें एवं दूसरे को भी बचाने का कार्य करें।
बलरामपुर के डीएम पवन अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण लखनऊ के माध्यम से उत्तर प्रदेश में घटित सर्पदंश की घटनाएं प्रायः बढ़ने के दृष्टिगत उससे होने वाले नुकसान और बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। जिसको व्यापक मात्रा में जिले के विभिन्न संसाधनों के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किए जा रहे है। उन्होने बताया है कि भारत में अन्य राष्ट्रों जैसे आस्टेलिया व अमेरिका में विषैले सर्पों की प्रतिशता 85-65 प्रतिशत आंकी गयी है। जबकि विषहीन सर्पों का प्रतिशत 15-35 प्रतिशत है। जिसके सापेक्ष मरने वाले की संख्या प्रत्येक वर्ष शून्य से 10 व्यक्तियों की है। परन्तु भारत में विषैले सर्प मात्र 15 प्रतिशत ही है। जिसके सापेक्ष भारत मे प्रत्येक वर्ष अनगिनत मृत्यु सर्पदंश से होती है। जिसका प्रमुख कारण लोगो में अज्ञानता व समय से ईलाज न कराने के वजाय झाड़-फूक आदि पर ज्यादा विश्वास करने से होती है।
काटे गये जगह को साबून व पानी से धोए दांत के निसान की जॉच करें। कही जहरीले सर्प के काटने का दो दंत का निशान तो नही? काटे हुए अंग को हृदय के लेवल से नीचे रखें। सर्पदंश वाले अंग को स्थिर (फिक्स) करें। बैंडेज (इंदकंहम) घाव पर और उसके उपर लगाये। घायल व्यक्ति को संत्वना दे। घबराहट से हृदय गति तेज चलने से रक्त संचरण तेज हो जायेगा। जहर सारे शरीर में जल्द फैल जयेगा। तुरंत बड़े अस्पाताल ले जाए। यदि जहरीले सर्प ने काटा है। तो एंटी वेनम (इंजेक्शन) का इजेक्शन डाक्टर से लगवाएं।
बर्फ अथवा अन्य गर्म पदार्थ का इस्तेमाल काटे गये स्थान पर न करें, सर्प से प्रभावित व्यक्ति के कटे स्थान पर टुर्निकेट न बॉधे। इससे संबंधित अंग में रक्त प्रवाह पूरी तरह रूक सकता है एवं संबंधित अंग की क्षति हो सकती है। काटे गये स्थल पर चीरा न लगाए। यह आगे नुकसान पहुॅचाता है, घायल को चलने से रोकें, शराब/नींद आने की कोई दवा नहीं दें, मुंह से कटे हुये स्थान को न चुसे, मंत्र या तांत्रिक के झांसे में न आये, भय एवं चिन्ता न करें सभी सॉप जहरीले नहीं होते है। सभी जहरीले सॉपों के पास हर समय पूरा जहर नही होता अगर पूरा जहर हो तो भी वो इसका लिथल डोज हमेशा नहीं प्रवेश करा पातें है।
जहरीले सर्प स्पैक्टेक्लैड कोबरा के काटने पर लक्षण-रूधितंत्र पर असर करने वाले जहर, काटे गये जगह पर दर्द, नींद आना, सांस लेने में परेशानी/बंद होती पलकें, नेक्रोसिस (शरीर के कोषिकाओं की मृत्यु), पक्षाघात, मुॅह परा झाग का आना, निगलने में परेशानी, कामन करैत, रूधितंत्र पर असर करने वाला जहर, सांस लेने में परेशानी, बंद होती पलकें, निगलने में परेशानी पक्षाघात, जी मिचलाना, पेट में अत्यधिक दर्द, स्केल्ड वाइपर, उत्तक को नष्ट करने वाला जहर, काटे गये स्थान पर जलन एवं दर्द। पीठ के निचले भाग एवं लोइन (पसली एवं कमर के हड्डी के बीच वाली जगह पर दर्द), मानसिक क्षति के कारण आन्तरिक कोषिकाओं एवं वाह्य कोषिकाओं में रक्तस्राव, अत्यधिक सूजन, काटे गये स्थान पर तेजी से जलन, अत्यधिक नेक्रोसिस (शरीर के कोषिकाओं की मृत्यु), दो कारणों से सॉप काटते है। आहार (भोजन) के लिये’, भय और आत्मरक्षा के लिये। करैत के द्वारा बिस्तर पर भी काटने की घटनाएं होती है।
सांप के बिल में कार्बाेलिक एसिड डाल दें। उसके गंध से सॉप दूर हो जाते हैं। मुर्गी के चूजे और चूहे को घरों से दूर रखें। सॉप काटने से मृत व्यक्तियों में से आधे से अधिक लोग विषहीन सर्प के काटने से मृत्यु होती है।
Updated on:
25 Jul 2025 06:09 pm
Published on:
25 Jul 2025 06:08 pm
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