बांदा

देशभर में 3 दिन में उत्तरप्रदेश का बांदा दूसरी बार सबसे गर्म जिला, जानें क्या है कारण?

धरती का तापमान हर साल एक नई ऊंचाई छू रहा है, लेकिन 2025 अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ने को तैयार दिख रहा है। उत्तरप्रदेश का बांदा जिला 3 दिनों में दूसरी बार देश में सबसे गर्म जिला रहा। बांदा में रिकार्ड तापमान 46.6 डिग्री के आसपास दर्ज किया गया।

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May 20, 2025
AI द्वारा बनाई गई इमेज।

धरती का तापमान हर साल एक नई ऊंचाई छू रहा है, लेकिन 2025 अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ने को तैयार दिख रहा है। जनवरी से अप्रैल तक के आंकड़े डराने वाले हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि 2025 के अब तक का सबसे गर्म साल बनने की संभावना 99% से ज्यादा है। यह सिर्फ एक मौसम की खबर नहीं, बल्कि एक गंभीर जलवायु संकट का संकेत है, जिसका सीधा असर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और घनी आबादी वाले राज्य पर पड़ेगा। खासकर वहां की अर्थव्यवस्था, कृषि, स्वास्थ्य और जल संसाधनों पर।

देश में यूपी का बांदा रहा सबसे गर्म जिला

उत्तरप्रदेश का बांदा जिला 3 दिनों में दूसरी बार देश में सबसे गर्म जिला रहा। बांदा में रिकार्ड तापमान 46.6 डिग्री के आसपास दर्ज किया गया। वहीं झांसी का 44.7 और उरई का 44.2 डिग्री, हमीरपुर का 43.2 और प्रयागराज का तापमान 42 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम विज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान के मरूस्थल से आने वाली गर्म हवाएं यहां पथरीले वातावरण से टकराकर और गर्म हो जा रही हैं, जिसकी वजह से यह स्थिति उत्पन्न हो रही है।

अमेरिका की NOAA और यूरोपीय कोपरनिकस एजेंसी की रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनवरी से अप्रैल 2025 तक औसत वैश्विक तापमान 1.28 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है, जो पिछले 175 वर्षों में सबसे अधिक है। अंटार्कटिका, आर्कटिक, प्रशांत और उत्तरी हिंद महासागर में बर्फ पिघलने की रफ्तार तेज़ हो गई है।

1. महासागरों का तापमान सामान्य से 0.8°C ज्यादा हो चुका है।

2. समुद्री जीव-जंतुओं की प्रजातियां संकट में हैं।

3. वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों का घनत्व रिकॉर्ड स्तर पर है।

उत्तर भारत का मैदानी इलाका, विशेषकर उत्तर प्रदेश, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। इस साल अप्रैल में ही प्रदेश के कई जिलों में तापमान 44°C के पार पहुंच चुका है।

अचानक गर्मी की लहरें (हीटवेव) लखनऊ, प्रयागराज, झांसी, बांदा, और बलरामपुर जैसे जिलों में अप्रैल में ही पड़ीं। बेमौसम बारिश और आंधी से फसलों को नुकसान। गंगा और यमुना के जलस्तर में गिरावट, जिससे पेयजल संकट की स्थिति।

अर्थव्यवस्था पर असर: खेत से खजाने तक खतरा

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है, लेकिन बदलता मौसम किसान की कमर तोड़ रहा है। धान की बुआई में देरी की आशंका क्योंकि मानसून अनिश्चित। गन्ने की पैदावार में गिरावट और सिंचाई लागत में इज़ाफा।

-धूप में काम करने वाले मजदूरों की उत्पादकता 30% तक घट गई।

-निर्माण और सड़क कार्यों में ठहराव, जिससे विकास परियोजनाएं प्रभावित।

-हीटवेव के कारण कई इलाकों में दोपहर के समय काम पूरी तरह बंद।

गर्मी के चलते बढ़ी बिजली की डिमांड

गर्मी के चलते बिजली की मांग 20% तक बढ़ी। ग्रामीण क्षेत्रों में लोडशेडिंग की स्थिति, जिससे स्कूल, अस्पताल, उद्योग सभी प्रभावित।

2025 की गर्मी सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक संकट की दस्तक है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के लिए, जहां आबादी घनी, संसाधन सीमित और कृषि आधारित जीवन प्रणाली है- जलवायु परिवर्तन एक जीविका संकट बनता जा रहा है। यह वक्त है कि सरकार, समाज और विज्ञान एक साथ आएं, ताकि न केवल गर्मी को झेलने की तैयारी की जाए, बल्कि भविष्य को भी सुरक्षित रखा जा सके।

Published on:
20 May 2025 03:53 pm
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