
151 वर्ष, 20 विद्यार्थी और 4 शिक्षक
बेंगलूरु. अंग्रेजों के जमाने का एक स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गया है लेकिन इसका कारण बड़ा ही रोचक है। आम तौर पर सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी रहती है लेकिन एक स्कूल ऐसा है जो विद्यार्थियों की कमी के चलते बंद होने की कगार पर है।
प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्कूल के शिक्षकों के साथ मिलकर विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए एक मुहिम चला रखी है। शिक्षक घर-घर जा बच्चों को आकर्षित करने में जुटे हैं।
शिक्षकों के अनुसार स्कूल सरकारी उदासीनता और निजी स्कूलों की भेंट चढ़ गया। एक दशक पहले ही स्कूल की स्थिति बिगडऩी शुरू हो गई थी। करीब 10 वर्ष पहले स्कूल में 143 विद्यार्थी थे।
समस्या से अवगत कराने के बावजूद न शिक्षा विभाग और न ही जन-प्रतिनिधियों ने दिलचस्पी दिखाई। अंग्रेजों ने 1867 में इस स्कूल की स्थापना की थी।
कक्षा एक से तीन वीरान
हावेरी जिले के हीरेकरुर तालुक के हमसाभावी स्थित 151 वर्ष पुराने सरकारी ब्यॉज हायर प्राइमरी स्कूल में 20 बच्चे ही शेष रह गए हैं। एक से सातवीं कक्षा वाले इस स्कूल में 20 विद्यार्थी व चार शिक्षक हैं। कक्षा एक से तीन में एक भी विद्यार्थी नहीं है। जबकी कक्षा चार और पांच में दो-दो, कक्षा छह में 6 और कक्षा सात में 10 विद्यार्थी ही हैं।
अभिभावकों ने कहा और भी हैं विकल्प
स्कूल के प्रधान अध्यापक वीसी बन्नीहट्टी ने बताया कि शिक्षा अधिकारी व शिक्षक बच्चों की संख्या बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं। कोई विशेष सफलता नहीं मिल रही है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों के लिए उनके पास विकल्प के रूप में और भी स्कूल हैं। इसके बावजूद कोशिश जारी है।
विलय से बच सकेगा स्कूल
बन्नीहट्टी ने बताया कि स्कूल के पास ही गल्र्स प्राथमिक स्कूल है। दोनों स्कूल का विलय हो तो इस ऐतिहासिक स्कूल को बचाया जा सकता है। शिक्षा विभाग को काफी पहले प्रस्ताव भेजा गया लेकिन निर्णय में देरी हो रही है। हावेरी सार्वजनिक निर्देश विभाग के उप निदेशक अंदनेप्पा वडगेरी ने बताया कि उन्हें समस्या की जानकारी है। स्कूल की स्थिति सुधारने की कोशिशें जारी हैं।
स्थानीय निवासियों में भी गुस्सा
स्कूल की स्थिति व सरकारी रवैये पर स्थानीय निवासी भी क्रोधित हैं। लोगों के अनुसार जर्जर भवन में स्कूल चल रहा है। जो सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है। स्कूल की कमजोर चारदीवारी कई जगहों से टूट चुकी है। कमरों की दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं। स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है। ऐसे में विद्यार्थियों की कमी हैरानी की बात नहीं है।
Published on:
11 Nov 2018 05:42 pm
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