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पार्श्व भैरव धाम की सराहना

पचास दिवसीय साधना आराधना का स्मरण करते हुए बहुत ही कम समय में प्रसिद्धि पाए तीर्थ की महिमा व विकास कार्यों की सराहना की।

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पार्श्व भैरव धाम की सराहना

बेंगलूरु. दक्षिण नाकोड़ा तीर्थ संकट मोचन पार्श्व भैरव धाम अरसीकेरे में मंगलवार को विधिकारण अश्विन गुरु ने शाश्वती नवपद ओली के आराधकों की सुखसाता पूछी और मंगलाचरण प्रदान किया।

उन्होंने पांच वर्ष पूर्व यहीं पर स्वयं द्वारा की गई पचास दिवसीय साधना आराधना का स्मरण करते हुए बहुत ही कम समय में प्रसिद्धि पाए तीर्थ की महिमा व विकास कार्यों की सराहना की। अश्विनगुरु ने घोषणा की कि आगामी 17 नवम्बर को भैरव का पंच अभिषेक एवं भैरव महापूजन कराए जाएंगे। ट्रस्ट अध्यक्ष अशोक कुमार सुराणा ने अश्विनगुरु व साथ आए अतिथियों का स्वागत किया।

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व्यक्ति का दिल प्यार और सत्य की भाषा ही जानता है
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के तत्वावधान में गोडवाड़ भवन में उपाध्याय प्रवर रविंद्र मुनि के सान्निध्य में रमणीक मुनि ने कहा कि जिनवाणी की श्रुत आराधना करने के लिए हर कदम अहिंसा समवशरण की ओर बढ़े हैं। व्यक्ति का दिल एक ही भाषा जानता है प्यार और सत्य।

मुनि ने विश्वामित्र द्वारा हरिश्चंद्र के सच्चे दिल की व दान की परीक्षा प्रसंग को उल्लेखित किया। ऋषि मुनि ने उतराध्ययन सूत्र की व्याख्या करते हुए आयु के संबंध में सूत्र बताए और कहा समय का जो क्षण चला गया, लौटकर नहीं आता।

इसे असंस्कृत कहते हैं। समय को पुन: लौटाने का बह्मांड में कोई साधन नहीं है। समय के पार तो जा सकते हैं मगर उस पर काबू नहीं पाया जा सकता। समय पर लगाम कसना किसी के हाथ में नहीं है। समय को वश में करने की बजाय उसे सुधारने की यानी उपयोग करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए जागना जरूरी है।

प्रारंभ में उपाध्याय प्रवर रविंद्र मुनि ने मंगलाचरण किया। रमणीक मुनि ने ओंकार का सामूहिक उच्चारण कराया। चिकपेट शाखा के संरक्षक विजयराज लुणिया ने बताया कि सभा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। संचालन सहमंत्री सुरेश मुथा ने किया।