
बेंगलूरु. भाजपा के लिए बल्लारी से लोकसभा सदस्य बी. श्रीरामुलू को चित्रदुर्गा जिले के मोलकालमूरु से विधानसभा चुनाव में उतारने की रणनीति परेशानी का सबब बन गई है। भाजपा ने हैदराबाद-कर्नाटक और मध्य कर्नाटक में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों को जीतने की रणनीति के तहत वाल्मीकि नायक समुदाय के श्रीरामुलू को पार्टी ने यहां से टिकट दिया है लेकिन कभी श्रीरामुलू के करीबी रहे स्थानीय विधायक एस तिप्पेस्वामी के टिकट काटे जाने से स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। बल्लारी, यादगिर, चित्रदुर्गा तथा रायचूर जिले में नाराजगी से पार्टी आलाकमान चितिंत है और मुंबई-कर्नाटक के दौरे पर आए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश अध्यक्ष बी एस येड्डियूरप्पा सहित अन्य नेताओं को मामले को सुलझाने के निर्देश दिए। बल्लारी, रायचूर तथा चित्रदुर्गा कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ रहे हैं।
भाजपा को उम्मीद नहीं थी कि तिप्पेस्वामी का टिकट काटे जाने से इतनी नाराजगी झेलनी पड़ेगी।
तिप्पेस्वामी श्रीरामुलू के विश्वासपात्र रहे हैं और जब २०१३ में श्रीरामुलू ने अलग पार्टी बीएसआर कांग्रेस बनाई थी तो तिप्पेस्वामी भी भाजपा छोड़कर उनके साथ आ गए थे और बीएसआर कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव भी जीते। वर्ष २०१४ में जब श्रीरामुलू भाजपा में लौटे तो तिप्पेस्वामी भी उनके साथ आए। तिप्पेस्वामी पार्टी से बगावत पर उतारु हैं। वे श्रीरामुलू के खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतरने की घोषणा कर चुके हैं।
बताया जाता है कि तिप्पेस्वामी की कांग्रेस के नेताओं से भी बातचीत चल रही है। हालांकि, पार्टी आलाकमान इस पर अभी मौन है। पार्टी नेताओं का दावा है कि श्रीरामुलू को बल्लारी के बजाय मोलकालमूरु से उतारने की रणनीति सही है और इससे राज्य के अधिकांश अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर पार्टी को मदद मिलेगी।
राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित १५ सीटों में से ११ मध्य और हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में ही है। साथ ही अनुसूचित जनजाति के मतदाता राज्य के २० अन्य सीटों पर भी निर्णायक स्थिति में हैं। बल्लारी, चित्रदुर्गा तथा रायचूर जिले में अजा-जजा तथा पिछड़े समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक होने से वहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। यहां पर सेंध लगाने के लिए पार्टी ने नायक समुदाय के नेता श्रीरामुलु को बल्लारी के बदले चित्रदुर्गा जिले से चुनाव लडऩे को कहा था।
भाजपा के एक नेता ने कहा कि श्रीरामुलू तेलुगू अच्छी तरह से बोलते हैं और इस क्षेत्र में उनके समुदाय के अधिकांश मतदाता भी तेलुगू बोलते हैं जिसके कारण वे लोगों से अच्छी तरह जुड़ जाते हैं। कांग्रेस के पास क्षेत्र में सतीश और रमेश जारकीहोली जैसे नेता हैं लेकिन उनका ज्यादा प्रभाव मुंबई-कर्नाटक में है। श्रीरामुलू को इस क्षेत्र से पार्टी ने काफी रणनीतिक तौर पर उतारा है। चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने नायक आदिवासी समुदाय के दो वर्गों- तलवार और परिवार को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को मंजूरी दी थी। पार्टी को उम्मीद है कि इससे मध्य और हैदराबाद-कर्नाटक के अलावा पुराने मैसूरु क्षेत्र में अनुसूचित जनजनाति के मतदाताओं को लुभाने में मदद मिलेगी। श्रीरामुलू पहले बल्लारी ग्रामीण क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन इस बार पार्टी ने उनका क्षेत्र बदल दिया।
भाजपा की बल्लारी जिला इकाई भी श्रीरामुलु को चित्रदुर्गा जिले से लड़ाने की रणनीति से संतुष्ट नहीं है। यहां के भाजपा कार्यकर्ता रघु कुमार के मुताबिक इस फैसले से भाजपा को फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही होगा। चित्रदुर्गा इकाई के नेताओं के मुताबिक ऐसे फैसले लेने से पहले भाजपा के नेताओं को जिले के नेताओं से संवाद करना था। ऐसे फैसले थोपने से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलेंगे। तिप्पेस्वामी म्यासबेडा समुदाय के नेता हैं। उनका टिकट छिनने से यह समुदाय आक्रोशित है। बल्लारी जिले के बल्लारी शहर, ग्रामीण, चित्रदुर्गा जिले के चित्रदुर्गा, चलकेरे तथा मोलकालमूरु में इस समुदाय के मत निर्णायक होने से इस समुदाय की नाराजगी भाजपा को महंगी पड़ सकती है।

Published on:
14 Apr 2018 01:18 am
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